अभी कुछ दिन पहले चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिन पिंग व्लादिमीर पुतिन से मिलने रूस गए थे। पुतिन के खिलाफ वारंट जारी है, इसके बाद भी जिनपिंग ने रूसी (Russia) राष्ट्रपति से मिलकर पश्चिमी देशों पर निशाना साधा। दोनों देशों ने आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का ऐलान किया। जिनपिंग भले ही पुतिन के साथ दोस्ती को बढ़ाने का दावा करें लेकिन वह रूस के कम विकसित सुदूरपूर्व इलाके में निवेश से कतरा रहे हैं। यह इलाका चीन से सटा हुआ है और अरबों डॉलर के तेल और गैस के भंडार से भरा हुआ है। रूसी (Russia) राष्ट्रपति के गुहार लगाने के बाद अब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्लादिवोस्तोक इलाके में एक सैटलाइट शहर बसाने जा रहे हैं।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन पर हमले के बाद साल 2022 के मध्य में रूस (Russia) के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टीन ने कहा था कि चीन देश के ऊर्जा, खनन और कृषि सेक्टर में 79 परियोजनाओं में 165 अरब डॉलर का निवेश कर सकता है। रूस को उम्मीद थी कि चीन यूरोपीय देशों की जगह ले लेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रूस की सरकारी मीडिया ने जहां चीन के सुदूर पूर्व इलाके में निवेश को दुनिया के सामने पेश किया लेकिन चीन के विश्लेषकों ने इस पर पानी फेर दिया।
चीन को रूस में किए जाने वाले निवेश रिस्क से भी सजग रहना चाहिए
चीन के विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बाद अब रूस के पास चीन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। वहीं कुछ अन्य विश्लेषक कहते हैं कि चीन को रूस में किए जाने वाले निवेश रिस्क से भी सजग रहना चाहिए। उनका कहना है कि भले ही रूस की जमीन पर युद्ध नहीं हो रहा है लेकिन पश्चिमी देशों के साथ तनाव के भड़कने का खतरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और रूस के बीच व्लादिवोस्तोक के इस इलाके को लेकर बहुत लंबे समय से विवाद रहा है। 19वीं सदी में चीन की क्विंग सरकार ने देश के पूर्वोत्तर इलाके का एक बड़ा हिस्सा रूसी साम्राज्य के हाथों गंवा दिया था।