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America को रहना होगा तैयार, किसी भी वक्त हमला कर सकता है ड्रैगन, कहा- शांति से मिल जाओ नहीं तो बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेंगे

चीन ने श्वेत पत्र जारी कर बलपूर्वक ताइवान को अपने कब्जे में लेने की दी धमकी

चीन ने एक बार फिर से ताइवान को खुली धमकी देते हुए कहा है कि, शांति से मिल जाओ वरना बल प्रोयग करने से पीछे नहीं हटेंगे। चीन की ये आक्रमकता दुनिया में विश्व युद्ध 3 ला सकती है। इन दिनों वैसे भी चीन ताइवान के क्षेत्रों में घुसकर सैन्यभ्यास कर रहा है। पिछले 4 अगस्त से ही चीन लगातार ताइवान के जमीनी, समुद्री और हवाई क्षेत्रों में अपनी ताकत दिखाकर डराने की कोशिश कर रहा है। ताइवान को अबतक चीन लगातार धमकी देता रहा है। लेकिन, इस बार धमकी के साथ ही ड्रैगन ने 22 साल बाद श्वेत पत्र जारी किया है। अब अमेरिका के साथ ही ताइवान की रक्षा करने की कसम खाने वाले देशों को पूरी तरह से अपनी तैयारी को मजबुत करना होगा। क्योंकि, चीन किसी भी वक्त हमला बोल सकता है।
 
चीन ने ताइवान को लेकर श्वेत पत्र जारी किया है जिसमें उसने कहा है कि, अगर उसे जरूरत पड़ी तो ताइवान को बलपूर्वक अपने कब्जे में करेगा। चीन ने 1993 के बाद से ताइवान को लेकर अपना कुल तीसरा श्वेत पत्र जारी किया है। इस श्वेत पत्र का सिलसिला चीन में शी जिनपिंग की सरकार 2012 में आने के बाद शुरु हुआ और इसी श्वेत पत्र जारी कर ड्रैगन ने कहा था कि, वह स्व-शासित द्वीप को अपने नियंत्रण में लाने के लिए सैन्य बल के इस्तेमाल से पीछे नहीं हटेगा। पिछली बार चीन ने ताइवान पर साल 2000 में श्वेत-पत्र जारी किया था।
 
अब ताइवान से तवान के बीच चीन ने फिर नीति पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि, हम शांतिपूर्ण पुन:मिलाप के लिए बड़ी जगह बनाने को तैयार है लेकिन हम किसी भी तरह से अलगाववादी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे। एक सरकारी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि दस्तावेजों के पिछले संस्करण ताइवान मसला और चीन का एकीकरण (1993) और एक-चीन सिद्धांत और ताइवान मसला (2000) थे। द ताइवान क्वेश्चन एंड चाइनाज रीयूनिफिकेशन इन द न्यू एरा नामक श्वेत पत्र में कहा गया है कि चीन शांतिपूर्ण पुन:मिलाप की मांग करेगा, लेकिन बल के प्रयोग से भी पीछे नहीं हटेगा। साथ ही ये भी कहा गया है कि, बल के साथ हम सभी आवश्यक कदम उठाएंगे। इसे स्टेट काउंसिल (चीन की कैबिनेट) के ताइवान मामलों के कार्यालय और उसके सूचना विभाग द्वारा जारी किया गया। साथ ही यह भी कहा गया है कि, हम सख्त कदम उठाने के लिए तभी मजबूर होंगे जब अलगाववादी तत्व या बाहरी ताकतें कभी हमारी लक्ष्मण रेखा को लांघेंगे।