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अब China कर रहा है चांद पर कब्जे की तैयारी, क्‍या अंतरिक्ष में होगा संघर्ष?

चीन चांद पर कर सकता है दावा

आज पूरी दुनिया चांद पर जा रही है। हाल ही में भारत ने हाल ही में चंद्रयान-3 लांच किया है। इस बीच चीन (China) ने भी अपने चंद्रमा मिशन को तेज कर दिया है। दरअसल, चीन की आदत रही है कि वह दूसरों की जमीन पर कब्जा करे। लेकिन अब चीन की यह ख्वाहिश स्पेस तक बढ़ चली है। पिछले कुछ सालों में चीन दुनिया के स्पेस प्रोग्राम में एक बड़ा प्लेयर बनकर सामने आया है। चीन इस समय स्पेस एक्सप्लोरेशन और संसाधन के दोहन के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी कह चुके हैं कि विशाल ब्रह्मांड का पता लगाना, अंतरिक्ष उद्योग का विकास करना और चीन को एक अंतरिक्ष शक्ति बनाना हमारा शाश्वत सपना है। अंतरिक्ष का सपना चीन को मजबूत बनाने के सपने का हिस्सा है। अंतरिक्ष थीम वाले कैफे और अंतरिक्ष यात्रियों की मूर्तियां अब देश भर में आम होने लगी हैं। चीन का लक्ष्य 2030 तक या इससे पहले चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है। चांद की सतह पर एक अनोखा खनिज खोज कर चीन पहले ही इस रेस में प्रगति कर चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दूसरों की जमीन कब्जाने वाली मानसिकता चीन अंतरिक्ष में दिखाएगा?

China अंतरिक्ष में बढ़ाएगा तनाव

चांद (Moon) पर एक बार फिर इंसानों को भेजने का मिशन अमेरिका भी चला रहा है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता चीन को लेकर ही है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के नागरिक और सैन्य स्पेस प्रोग्राम के बीच अंतर की कमी होना और एकतरफा निर्णय लेने की प्रक्रिया अंतरिक्ष में तनाव का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा मूल्यवान संसाधनों तक चीन की पहुंच दुनिया के अंतरिक्ष उद्योग के भविष्य पर सवाल खड़े करती है।

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चांद पर क्या छिपा है?

एक सबसे महत्वपूर्ण सवाल होगा कि आखिर हर कोई चांद पर क्यों जा रहा है। दरअसल चांद दुर्लभ खनिजों से भरा हुआ है। हीलियम-3 भी एक ऐसा ही आइसोटोप है, जिसे लोग भविष्य की ऊर्जा मानते हैं। इसके अलावा चीन ने अपने चांग ई 5 मिशन के जरिए चंद्रमा के चट्टान के नमूनों में हीलियम-3 युक्त खनिज चेंजसाइट-वाई की खोज की थी। चंद्रमा पर दस लाख मीट्रिक टन से अधिक हीलियम-3 मौजूद हो सकता है। इसकी संभावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दुनिया के ज्यादातर देश अंतरिक्ष से जुड़े किसी भी प्रोजेक्ट में साथ मिलकर काम करते हैं। अगर किसी देश की स्पेस एजेंसी कोई नई खोज करती है तो भी वह बाकी एजेंसियों से इसे शेयर करती है। लेकिन चीन का रवैया एकदम उल्टा है। कई बार चीन के रॉकेट अनियंत्रित हुए हैं और उनका मलबा कई देशों के लिए खतरा बना है।