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China-उत्तर कोरिया की होगी सिट्टी पिट्टी गुम! अमेरिका की महाविनाशक पनडुब्बी पहुंची दक्षिण कोरिया

चीन (China) -उत्तर कोरिया अपनी चालबाजियों में लगे रहते है। लेकिन सुपरपावर अमेरिका इनकी हर चाल पर पानी फेर देता है। अब अमेरिका ने अपने सबसे महविनाशक हथियार उत्तर कोरिया के करीब तैनात कर दिए हैं। यह अमेरिका की खुलेआम और सीधे तोर पर चीन और उत्तर कोरिया को चेतावनी है। दशकों में पहली बार अमेरिका की परमाणु पनडुब्बी दक्षिण कोरिया के बंदरगाह पर रुकी है। यह देखते हुए क़यास लगाया जा रहा है कोरियाई प्रायद्वीप में हलचल तेज़ होने वाली है। अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय में लिया है, जब कुछ दिनों पहले उत्तर कोरिया ने ठोस ईंधन वाले अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। अमेरिका ने इसके बाद से अपनी ओहायो-क्लास बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी को कोरियाई बंदरगाह शहर बुसान पर भेज कर सीधे तौर पर उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन को चेतावनी दी है।

40 साल में पहली बार अमेरिका की यह पनडुब्बी कोरिया के पानी में पहुंची है

अभी कुछ दिन पहले किम जोंग उन और उनकी बहन मने अमेरिका को उनके जासूसी विमानों को मार गोराने की धमकी दी थी। किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि प्रायद्वीप पर बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी तैनात करने से दोनों पक्षों के बीच पहले से टूटी हुई संचार लाइन को और भी ज्यादा नुकसान होगा। 40 साल में पहली बार अमेरिका की यह पनडुब्बी कोरिया के पानी में पहुंची है।

​कितनी खतरनाक है पनडुब्बी

आम बोलचाल की भाषा में इसे बूमर्स के नाम से जाना जाता है। यह 560 फीट लंबी है। इसकी रफ्तार 37 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है। ओहायो क्लास की हर पनडुब्बी में अधिकतम 20 ट्राइडेंट-II बैलिस्टिक मिसाइलें होती हैं। जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज के मुताबिक हर ट्राइडेंट मिसाइल चार परमाणु हथियार ले जा सकती है। इस हिसाब से प्रत्येक अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी लगभग 80 परमाणु हथियार ले जा सकती है।

​क्या कहते हैं विश्लेषक

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी नौसेना की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का दक्षिण कोरिया के करीब होना पूरी तरह से सांकेतिक है। वास्तव में इससे इसकी मिलिट्री वैल्यू कम होगी। हवाई में अमेरिकी प्रशांत कमान के संयुक्त खुफिया केंद्र में परिचालन के पूर्व निदेशक कार्ल शुस्टर ने कहा था, ‘सामरिक रूप से अमेरिका और दक्षिण कोरिया सबसे शक्तिशाली पनडुब्बी की वैल्यू कम कर रहे हैं।’

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