इस वक्त चीन (China) में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट का BF.7 सब वेरिएंट बुरी तरह से तबाही मचा रहा है। माना जा रहा है कि, भविष्य में कोरोना के कई और वेरिएंट देखने को मिल सकते हैं। चीन में इस वक्त आलम यह है कि, हर रोज एक करोड़ से भी ज्यादा नये मामले आ रहे हैं। चीन के अस्पताल भर गये हैं मरीजों को जमीन पर लेटा कर चेयर पर बैठाकर इलाज किया जा रहा है। साथ ही रिकॉर्ड मौतें हो रही हैं। हाल यह है कि, शव गृह में जगह नहीं है, लोग लंबी-लंबी कतारें लगाकर घंटों इंतजार कर रहे हैं। इस बीच 31 दिसंबर 2022 को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (xi jinping) ने नए साल के मौके पर देश की जनता को संबोधित किया। जिनपिंग ने कहा कि उनका देश सही इतिहास की तरफ है। वह इतिहास का दावा कर रहे थे लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे थे कि जिस तरह से जिनपिंग ने अपनी आक्रामक कोविड रणनीति पर यू-टर्न लिया है, उसने साल 2023 की शुरुआत में ही राष्ट्रपति को अप्रभावी कर दिया है।
विशेषज्ञों की मानें तो चीन को जीरो कोविड नीति की असफलता की वजह से आर्थिक और इंसानी कीमत अदा करनी पड़ रही है। चीन की सरकार ने भले ही जनता के गुस्से को दबा दिया हो लेकिन राष्ट्रपति जिनपिंग की मुश्किलें कम नहीं होने वाली हैं।
सिरदर्द बनी कोविड नीति
पहले जीरो कोविड नीति और फिर इस नीति को खत्म करने की वजह से राष्ट्रपति जिनपिंग को काफी दिक्कतें पैसा हो रही है। आधिकारिक तौर पर तो चीन में कोविड से सिर्फ 5200 से कुछ ज्यादा ही मौतें हुई हैं। लेकिन यह आंकड़ें गलत हैं। सरकार की तरफ से जो बताया जा रहा है, हकीकत उससे कहीं ज्यादा डराने वाली है। राजधानी बीजिंग में एक शवदाह गृह के बाहर इतनी भीड़ थी कि लोगों के बीच हाथापाई हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने गश्त का फैसला किया।
जिनपिंग बोले-जनता सबसे पहले
कोविड के लगातार बढ़ते केसेज के बीच ही पहली बार जनता को संबेधित किया। तीन हफ्ते पहले ही चीन की सरकार ने कोविड नीति बदली थी। इसके बाद से ही केसेज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जिनपिंग ने अपने पहले संबोधन में कहा कि चीन की सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी ने देश की जनता को पहले रखा है और हमेशा ऐसा ही करती आई है।
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जिनपिंग पर भरोसा खत्म
विशेषज्ञों की मानें तो शायद चीनी अथॉरिटीज और जिनपिंग खुद दीवार के उस तरफ नहीं देखना चाहते हैं लेकिन नुकसान हो चुका है। अमेरिका-चीन के रिश्तों से जुड़े न्यूयॉर्क स्थित एशिया सोसायटी में यूएस-चाइना रिलेशंस के डायरेक्टर ओरविले स्केहल की मानें तो महामारी के लिए कम्युनिस्ट पार्टी का जो रवैया है वह अब पूरी तरह से पलट गया है। जीरो कोविड नीति की वजह से हुए विद्रोह ने सिर्फ शी जिनपिंग की अक्षमता को हवा दी है। जिनपिंग अभी चीन में हो रही आलोचना से अछूते हैं।
बड़ी कीमत चुकानी होगी
कोविड नीति को खत्म करने और को सबकुछ खोल देने की बड़ी आर्थिक कीमत चीन को अदा करनी पड़ सकती है। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन के अमीर और एलीट क्लास के लोग अपने पैसे को बाहर लेकर जा सकते हैं और साथ ही साथ वो देश भी छोड़कर जा सकते हैं।