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ड्रैगन के अचानक कैसे बदलने लगे सुर! अमेरिका नेपाल के बीच बढ़ते रिश्ते को देख हो रहा खुश

Nepal-America में 65.9 करोड़ डॉलर के विकास मदद समझौते पर हुआ हस्ताक्षर

नेपाल में पिछले कई सालों से चीन ने तेजी से घुसपैठ की। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि, चीन के जासूस नेपाल की खुफिया जानकारी चुरा रहे हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि, चीन लगातार नेपाल की जमीनों पर कब्जा कर रहा है। यहां तक कि नेपाल के एक ऐतिहासिक मंदिर पर कब्जा करते हुए चीन ने यहां अपनी सेना को तैनात कर दिया और नेपाली लोगों को ही मंदिर में प्रवेश वे वर्जित कर दिया। इसके साथ ही चीन यहां अपनी कर्ज जाल नीति को लागू करना चाहता था जिसे नेपाल ने मना कर दिया। अब अमेरिका-नेपाल के बीच 65.9 करोड़ डॉलर के विकास मदद समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। जिसे देख ड्रैगन खुश हो रहा है। उसकी इस खुशी के पीछे कोई साजिश तो नहीं।

नेपाली संसद द्वारा अमेरिका से मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) अनुदान की पुष्टि के कुछ ही सप्ताह बाद दोनों देशों ने एक और समझौते पर दस्तखत किए हैं। इससे हिमालयी देश को सहायता में 65.9 करोड़ डॉलर की अमेरिकी सहायता मिलेगी। काठमांडो पोस्ट के खबरों की माने तो, अगले पांच वर्षों के लिए अनुदान मध्यम आय वाले देश नेपाल में विकास के लक्ष्य को समर्थन देगा। समझौते के अनुसार विकास सहायता अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) के माध्यम से दी जाएगी, जो संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से इस समझौते के तहत परियोजनाओं पर काम करेगी।

इस कदम से चीन और काठमांडो के बीच पहले से ही दूरी के बन रहे रिश्तों में एक और विभाजन का खतरा हो सकता है। हालांकि, बीजिंग ने नेपाल की इस सहायता पर खुशी जताई है लेकिन कहा है कि यह मदद बिना किसी राजनीतिक बंधन के आनी चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, हम अन्य देशों की संप्रभुता की कीमत पर स्वार्थी हितों पर आधारित कूटनीति और एजेंडे का विरोध करते हैं। उसने नेपाल-अमेरिकी समझौते पर सिर्फ यही कहा कि इसमें सियासी बाध्यता नहीं होनी चाहिए।