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एक साल से Taliban को बेवकूफ बना रहा था ड्रैगन- अब दोस्ती खत्म दुश्मनी शुरू!

Taliban Angry on China

Taliban-China Relations: अफगानिस्तान पर जब पिछले साल तालिबान ने कब्जा किया था तो उसे सबसे ज्यादा मदद चीन और पाकिस्तान (Taliban-China Relations) से मिली थी। इन दोनों ही देशों ने तालिबानियों की पूरी तरह से मदद की है। इसके बाद पाकिस्तान में उस दौरान के पीएम इमरान खान विश्व मंच पर गला फाड़-फाड़ कर तालिबान को दुनिया से समर्थन करने के लिए कहे। चीनी विदेश मंत्री अफगानिस्तान (Taliban-China Relations) जाने लगे। पाकिस्तान की आईएसआई तालिबान के साथ सांठ गांठ बिठाने लगी। लेकिन, कुछ ही समय बाद पाकिस्तान से रिश्ता खराब हो गया। अब चीन ने भी असली रंग दिखा दिया है। वैसे भी चीन किसी भी देश से बिना मतलब के दोस्ती नहीं करता। चीन के इस असली रंग पर तालिबान भड़क उठा है।

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चीन पर आगबबूला हुआ तालिबान
दरअसल, चीन ने अफगानिस्तान को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए कई वादे किए थे। लेकिन, एक साल बाद भी कोई वादा पूरा नहीं हुआ। तालिबान चीन पर आगबबूला हो गया है। अफगानिस्तान के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इनवेस्टमेंट के उपाध्यक्ष खान जान अलोकोजे ने एक इंटरव्यू में कहा, चीन द्वारा एक पैसे का निवेश भी अब तक नहीं किया गया है। उनकी कई कंपनियां आईं, हमसे मिलीं, शोध किया और फिर चली गईं और गायब हो गईं। यह निराशाजनक है।

तालिबान पर दबाव बना रहा चीन
उधर चीन का कहना है कि, तालिबान ने अब तक यह नहीं दिखाया है कि, वह एक ऐसे समूह पर नकेल कसने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं, जिसके सुदूर पश्चिमी शइनजियांग क्षेत्र अलगाववादियों से संबंध हैं। इसके अलावा, तालिबान अफगानिस्तान के संसाधनों का दोहन करने के लिए मौजूदा प्रोजेक्ट्स पर फिर से चीन के साथ बातचीत करने की मांग कर रहा है। तालिबान ने अफगान धरती पर आतंकवादी समूहों को संचालित नहीं करने की कसम खाई है। चीन ने कई मौकों पर समूह को पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) के खिलाफ ऐक्शन लेने के लिए कहा है। ये एक मुस्लिम अलगाववादी समूह है जो शिनजियांग इस्लामी राज्य स्थापित करने की मांग कर रहा है। चीन और अफगानिस्तान 76 किलोमीटर (47 मील) की सीमा साझा करते हैं।

वहीं, तालिबान के पॉलिटिकल ऑफिस के प्रमुख सुहैल शाहीन के मुताबिक, तालिबान ने बार-बार कहा है कि ETIM अफगानिस्तान में काम नहीं कर रहा है और वे भविष्य में भी किसी को भी किसी अन्य देश के खिलाफ अफगान धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देंगे। लेकिन मई में संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में कई देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ETIM अफगानिस्तान में मौजूद है। इस्लामिक थियोलॉजी ऑफ काउंटर टेररिज्म- यूके स्थित एक थिंक टैंक जिसे ITCT के नाम से भी जाना जाता है- के डिप्टी डायरेक्टर फरान जेफरी का कहना है कि ईटीआईएम निश्चित रूप से चीन के लिए एक टिकिंग टाइम बम है, जो इसे एक दीर्घकालिक खतरा बनाता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने काबुल में अधिकारियों को ईटीआईएम के साथ तालिबान के संबंधों के बारे में सवाल पूछने पर कहा कि तालिबान की ओर से कई मौकों पर कहा गया है कि वे अपने क्षेत्र को किसी भी आतंकवादी ताकतों द्वारा चीन सहित देशों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देंगे।

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अफगानिस्तना के खजाने पर चीन की नजर
बता दें कि, अफगानिस्तान में सदियों से खनिज मौजूद हैं। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद चीन ने जोर दिया था कि वो तालिबान की मदद करेगा। इसके लिए वो कई प्रोजेक्ट्स पर काम भी करने लगा था। लेकिन, तभी दुनियाभर के कई देशों ने तालिबान के काम करने के तरीके को देखने के लिए दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी। चीन उन चुनिंदा देशों में शामिल था, जिसने आर्थिक मदद पहुंचाने का वादा किया था। लेकिन, अभी तक ड्रैगन की ओर से कोई मदद नहीं की गई।