भारत और चीन के बीच इस वक्त हालात हैं उसे पैदा करने वाला चीन ही है। चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे हो इसे लेकर PM नरेंद्र मोदी ने काफी कोशिश की। शी जिंनपिंग को इंडिया बुलाया उनका भव्य स्वागत किया। इसके साथ ही कई क्षेत्रों में चीन का साथ दिया लेकिन, मौका मिलते ही चीन ने भारत की पीठ में खंजर घोंप दिया और भारत से लगती सीमाओं के पास अवैध रूप से कब्जा करना शुरू कर दिया। लेकिन, इस बार चीन कामयाब नहीं हो सका क्योंकि, भारत मां के सपूतों को खुली छूट मिली थी और जब चीनी सेनाओँ के साथ गलवान घाटी में खूनी संघर्ष हुआ तो चीन को ज्यादा नुकसान हुआ। खैर इस वक्त चीन के सुर बदलने लगे हैं और भारत की जमकर तारीफ कर रहा है।
विदेश मंत्री एस, जयशंकर के बयानों की चीन ने जमकर तारीफ की है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जयशंकर के उस बयान की तारीफ की है, जिसमें उन्होंने यूरोप के वर्चस्ववाद को अस्वीकार करते हुए कहा था कि चीन-भारत अपने संबंधों को दुरुस्त करने में 'पूरी तरह से सक्षम' हैं। वांग यी ने कहा है कि जयशंकर का बयान भारत की 'आजादी की परम्परा' को दिखाता है।
S Jaishankar on full fire 🔥🔥 this is the assertiveness we can see first time in Indian Foreign policy. " Europe has to grow out of the mindset that europes problems are worlds problems and vice versa isn't true." #ForeignPolicy pic.twitter.com/M00wCnEI1V
— Jahidhussain (@JahidHussain2) June 3, 2022
चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत के साथ बुधवार को अपनी पहली बैठक में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि, दोनों देशों को अपने रिश्तों की गर्मजोशी बरकरार रखने, उन्हें पटरी पर लाने तथा पहले जैसी स्थिति में पहुंचाने के लिए एक ही दिशा में कोशिश करनी चाहिए। इसके आगे उन्होंने कहा कि, दोनों पक्षों को तमाम वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और चीन, भारत और अन्य विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए। चीनी विदेश मंत्री ने भारतीय राजदूत से कहा कि, हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक रूप से यूरोपीय वर्चस्ववाद को नकारने और चीन-भारत संबंधों में बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई थी। यह भारत की आजादी की परंपरा को दिखाता है।
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दरअसल, बीते 3 जून को स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में एक सम्मेलन में एक डॉयलॉग सेशन में जयशंकर ने कहा था कि, यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उनकी सम्सायएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं। अपने बयान में जयशंकर ने यूरोप के इस कॉन्सेप्ट को खारिज कर दिया था कि यूक्रेन हमले को लेकर भारत के रुख की वजह से चीन के साथ किसी मुश्किल स्थिति में भारत को मिलने वाली दुनिया की मदद पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा था कि, भारत का चीन के साथ एक कठिन रिश्ता है, लेकिन यह इसे दुरुस्त करने में पूरी तरह से सक्षम है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि, भारत का किसी भी एक पक्ष की ओर से खड़े होना जरूरी नहीं है। तेल खरीदने के मसले पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि, यूरोप रूस से हमारे मुकाबले कई गुना ज्यादा ऊर्जा खरीदता है। वांग ने रावत से कहा कि चीन और भारत 2 महान प्राचीन पूर्वी सभ्यताएं हैं, 2 प्रमुख उभरते विकासशील देश और 2 प्रमुख पड़ोसी देश हैं।