राहुल कुमार
चीन ने अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद की बाधाओं और पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता को स्पष्पट रूप से रेखांकित किया।चीन का कहना था कि चीन-पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान त्रिपक्षीय समूह को प्रगति करने से ये बाधायें आड़े आती हैं।
इस्लामाबाद ने शनिवार को अपने विदेश कार्यालय में पांचवें चीन-पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान त्रिपक्षीय विदेश मंत्रियों की वार्ता का आयोजन किया था। तीनों देशों ने क्षेत्रीय सहयोग के लिए अपने साझा एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक जुड़ाव, आतंकवाद का मुक़ाबला, व्यापार और कनेक्टिविटी पर चर्चा की।
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर मुत्ताकी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा त्रिपक्षीय बैठक में भाग लेने के लिए अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने की विशेष अनुमति दी गयी थी। उन्होंने रावलपिंडी में आर्मी हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से अलग से मुलाक़ात की।
रावलपिंडी में आर्मी हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्तकी (फ़ोटो: पाकिस्तान विदेश मंत्रालय)
चीन ने पाकिस्तान के सामने रोडमैप रखते हुए कहा कि कैसे अपने संबंधों को आगे बढ़ाया जाए। चीनी विदेश मंत्री किन गैंग ने देश में राजनीतिक संकट, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और पाकिस्तान की ख़राब वित्तीय स्थिति के बारे में बात की। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के अंदर आतंकी समूहों का भी ज़िक़्र किया, जो कि इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं।
अपने द्विपक्षीय संबंधों के सबसे बड़े और सबसे अधिक दिखायी देने वाले संकेत- सीपीईसी के बारे में बात करते हुए किन गैंग ने कहा कि जब तक आंतरिक स्थिरता नहीं होगी, तब तक सीपीईसी परियोजनायें आगे नहीं बढ़ सकतीं। वह देश भर में चीनी नागरिकों, संस्थानों और परियोजनाओं की ख़राब सुरक्षा का ज़िक़्र कर रहे थे। उन्होंने दसू पनबिजली परियोजना, कराची में कन्फ्यूशियस संस्थान में चीनी नागरिकों को निशाना बनाने और देश के अन्य हिस्सों में हमलों का ज़िक़्र किया।
उन्होंने अपने पाकिस्तानी दोस्तों को यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक पाकिस्तान के अंदर आंतरिक स्थिरता नहीं होगी, तब तक सीपीईसी परियोजनायें आगे नहीं बढ़ सकतीं। चीनी कंपनियों ने अपर्याप्त सुरक्षा का हवाला देते हुए अक्सर CPEC की बिजली और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम रोक दिया है।
किन गैंग ने कहा: “चीन को पूरी उम्मीद है कि पाकिस्तान की राजनीतिक ताक़तें एकजुट हो सकती हैं और राजनीतिक स्थिरता की समस्याओं को दूर कर सकती हैं, ताकि वे हमारे साथ मिलकर आर्थिक मोर्चे पर विकास कर सकें।”
चीनी विदेश मंत्री ने अपने पाकिस्तानी मेज़बानों को प्रशासनिक शासन पर एक व्याख्यान देते हुए कहा: “हम ईमानदारी से मानते हैं कि पाकिस्तान में राजनीतिक ताक़तें आम सहमति बना लेंगी, स्थिरता बनाये रखेंगी और घरेलू और बाहरी चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से समाधान कर सकेंगी, ताकि यह बढ़ती अर्थव्यवस्था लोगों के जीवन में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर सके।”
पाकिस्तान की अनिश्चित आर्थिक स्थिति का ज़िक़्र करते हुए उन्होंने कहा कि बीजिंग इस्लामाबाद पर वित्तीय और विदेशी मुद्रा के दबाव के संभावित समाधानों पर बारीक़ी से विचार करेगा और इस स्थिति में पाकिस्तान की मदद करने की पूरी कोशिश करेगा। हालांकि, किन गैंग ने इस्लामाबाद के वित्तीय संकट का ठोस समाधान प्रदान करने से परहेज़ किया।
चीन और पाकिस्तान द्वारा त्रिपक्षीय पर दिये जा रहे एक प्रमुख विषय सीपीईसी को अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तारित करना है।
बीजिंग सीपीईसी के साथ-साथ देश के समृद्ध खनिज भंडार का दोहन करके अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन के साथ संबंधों को गहरा करना चाहता है। अफ़ग़ानिस्तान के संबंध में भी चीन को ईस्ट तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सूचीबद्ध एक आतंकवादी संगठन पर आशंका है।
अभी कुछ हफ़्ते पहले चीनी विदेश मंत्रालय (MoFA) ने कहा था कि “अफ़ग़ानिस्तान में ETIM बल चीन, अफ़ग़ानिस्तान और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करते हैं। चीन उम्मीद करता है कि अफ़ग़ानिस्तान अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेगा और ईटीआईएम सहित सभी आतंकवादी ताक़तों पर नकेल कसने के लिए अधिक प्रभावी उपाय करेगा, और अफ़ग़ानिस्तान में चीन और अन्य देशों के नागरिकों, संस्थानों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
इस त्रिपक्षीय बैठक ने बीजिंग को काबुल को यह बताने का एक और अवसर प्रदान किया कि तालिबान के लिए अफ़ग़ानिस्तान के भीतर विभिन्न आतंकी ताक़तों का मुक़ाबला करने के लिए मज़बूत उपाय करना महत्वपूर्ण है। चीन ने अपने तालिबान समकक्ष से अपने पड़ोसियों की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेने और अफ़ग़ानिस्तान के भीतर विभिन्न आतंकी ताक़तों का मुक़ाबला करने के लिए कड़े क़दम उठाने को कहा।