क्या अमेरिका, भारत और चीन (china) के संबंधों के बीच घुसने की कोशिश कर रहा है? ये सवाल अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन (Pentagon) की रिपोर्ट से उठा है। दरअसल, पेंटागन की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ उसके संबंधों में दखलंदाजी न करे। यही नहीं रिपोर्ट में तो यह भी कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ अपने टकराव के बीच चीनी अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को दुनिया के सामने दबाने की कोशिश की है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर देकर कहा गया है कि शी चिनफिंग ऐसी रणनीति पर का चीन के संबंधों के बीच आ रहा है?
पेंटागन की रिपोर्ट भारत देगी राहत?
पेंटागन (Pentagon) की ये रिपोर्ट काफी हद तक भारत को राहत देने वाली है। चीन की सैन्य क्षमता पर कांग्रेस को दी गई हालिया रिपोर्ट में पेंटागन ने बताया कि चीनी गणराज्य (PRC) तनाव कम करना चाहता है, ताकि भारत और अमेरिका की नजदीकियां और न बढ़ें। पीआरसी के अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ पीआरसी के संबंधों में दखलंदाजी करने से बचे।
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रिपोर्ट में गलवान घाटी की झड़प का जिक्र
पेंटागन ने कहा कि चीन-भारत सीमा पर एक खंड में 2021 के दौरान से टकराव जारी है। दोनों ही देशों की सेना यहां आमने-सामने तैनात हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-चीन के बीच साल 2020 की गलवान घाटी की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच 46 साल का सबसे गंभीर तनाव पैदा हुआ था। गलवान घाटी में भारत और चीन के निगरानी दस्ते आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान दोनों ओर से सैनिकों की मौत हुई थी।
बता दें कि पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि एक अनुमान है कि चीन के परिचालन परमाणु हथियारों का भंडार 400 से अधिक हो गया है। पीएलए की 2035 तक अपनी राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों के ‘मूल रूप से पूर्ण आधुनिकीकरण’ करने की योजना है। अगर चीन अपने परमाणु विस्तार की गति को जारी रखता है, तो वह 2035 की समयसीमा तक लगभग 1500 वॉरहेड्स का भंडार जमा कर लेगा। गौरतलब है कि चीन के पड़ोसी देशों के लिए यह खतरे की घंटी है।