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China और Pakistan की दोस्ती में दरार, CPEC को लेकर अटकी सांस तो ड्रैगन ने दे डाली ये धमकी

चीन टेंशन में आया

पाकिस्तान (Pakistan) और चीन (China) की दोस्ती में दरार आनी शुरू हो गई है और इसका कारण आतंक है। पाकिस्तान के आतंकी आज उसी के ऊपर हमले कर रहे हैं। जिस आतंकियों को पाकिस्तान ने पाल पोश कर बड़ा किया वही आज मुल्क में हमले कर रहे हैं। इस बीच चीन ने जो CPEC प्रजेक्ट का सपना देखा था वो अधर में लटका हुआ है। दरअसल, चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के 52 प्रोजेक्ट्स पर 48 अरब डॉलर खर्च करने के बाद पाक के हालात देखते हुए चीन की भी सांस अटकी हुई है। ऐसे में चीन ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर चीनी नागरिकों पर हमलों को रोकने में इस्लामाबाद कामयाब नहीं हुआ तो उन दोनों के बीच संबंध खराब हो जाएंगे।

पाकिस्तान को लेकर अटकी चीन की सांस

यह सीधी बात चीन ने पाकिस्तान के आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम से कही है। वह आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के साथ चीन के दौरे पर गए थे। पाकिस्तान के हालात राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर बहुत ही खराब हैं। ऐसे में सीपीईसी प्रोजेक्ट में काम करने वाले चीनी नागरिकों पर अकसर हमला हो जाता है। खासकर पीओके में चीनी नागरिकों पर कई बार हमले हो चुके हैं। इस समय पाकिस्तान को लेकर चीन की जान आफत में फंसी हुई है। वह बात अलग है कि उसने आर्थिक बदहाली में पाकिस्तान के लिए मदद का हाथ बढ़ाया।

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चीन के लिए यह एक मजबूरी भी है क्योंकि वह पहले भी पाकिस्तान में बहुत ज्यादा निवेश कर चुका है। हालांकि अब चीन ऐसी जगह फंसा है जहां से उसके लिए पीछे लौटना बहुत मुश्किल है। आए दीन चीन पाकिस्तान पर अपनी खुन्नस निकालता रहता है। चीन को डर है कि पाकिस्तान की वह से अगर सीपीईसी में ज्यादा देरी होती है तो दुनिया के सामने उसकी फ जीहत होगी। हाल यह है कि पाकिस्तान को अपने पीएलए के जवानों को सीपीईसी प्रोजेक्ट की रखवाली के लिए लगाने पड़ रहे हैं। पाकिस्तान भी चीन की चेतावनी से डरा हुआ है और वह सीपीईसी प्रोजेक्ट की रखवाली की कोशिश कर रहा है लेकिन इसमें सफल नहीं है।

सीपीईसी के लिए चुनौतियां महज पाकिस्तान में सुरक्षा कारणों से नहीं बढ़ी हैं बल्कि इसकी पीछे गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान में चीन के प्रति गुस्सा भी है। वहीं तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने भी जब से सीजफायर खत्म किया है तब से इसके आतंकी हमला किया करते हैं। चीनी नागरिकों पर ज्यादातर हमले बलूचिस्तान में हुए।