एक तरफ रूस पिछले 11 महीने से यूक्रेन पर हमला बोले हुए है तो दूसरी ओर ताइवान और चीन के बीच अब टकराव बढ़ता नजर आ रहा है। ताइवान से सटे सीमा पर चीन लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है और इसमें वो अपने फाइटर जेट और मिसाइलों को भी शामिल कर ताइवान (Taiwan) को डराने की कोशिश कर रहा है। वहीं ऐसे में ताइवान पर नजरें गड़ाए चीन ने साल 2022 में इस द्वीपीय देश की हवाई सीमा क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमानों की घुसपैठ को दोगुना कर दिया है। ताइवान चीनी आक्रमण के लगातार खतरे झेलता रहता है, क्योंकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शासक लंबे समय से इस द्वीप पर चीन का दावा ठोकते रहे हैं।
ताइवान और चीन के बीच दुश्मनी बढ़ी
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासनकाल में दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी रही है। रिश्तों में कड़वाहट तब और बढ़ गई, जब 2022 के अगस्त में अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी। उनके दौरे के विरोध में चीनी सेना ने ताइवान में घुसपैठ तेज कर दी।
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दरअसल, चीन ने 2022 में ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र (ADIZ) में 1,727 विमान भेजे थे, जो 2021 की तुलना में दोगुना है। ताइपे के मुताबिक साल 2021 में चीन ने ताइवानी हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की 960 घटना को अंजाम दिया था, जबकि 2020 में यह संख्या 380 थी। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि ताइवान सीमा क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले चीनी लड़ाकू विमानों की संख्या भी दोगुनी हुई है। 2021 में 538 फाइटर जेट ताइवान में घुसे थे जो 2022 में दोगुनी होकर 1,241 हो गई, जबकि परमाणु-सक्षम H6 सहित बमवर्षकों के घुसपैठ की वारदात भी 60 से 101 हो गई।
पिछले साल पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने ड्रोन से पहली घुसपैठ की थी। ताइवान की सेना ने 71 बार ड्रोन से ताइवान में घुसपैठ की घटना को अंजाम दिया है। वाशिंगटन (Washington) और ताइपे की बढ़ती नजदीकी को उकसावा मानते हुए चीन ने हाल ही में 25 दिसंबर को युद्ध अभ्यास करते हुए 71 युद्धक विमान ताइवान की तरफ भेजे थे।