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Covid-19 को लेकर चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping की चेतावनी, कहा- सरकार के खिलाफ बगावत की तो देंगे ऐसी सजा कि…

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चेतावनी

चीन ऐसा देश है जो अपनी कई करतूतों के चलते हमेशा से चर्चा में बना रहता है। अभी कुछ समय तक तो कई देशों संग सीमा विवाद को लेकर दुनिया भर में चर्चा में था। अब अपनी कोविड जीरो पॉलिसी को लेकर सुर्खियों में है। जब पूरी दुनिया में कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है तो वहीं, चीन में कोरोना के केसेसे में भारी उछाल आया है। जिसके चलते कई शहरों में सख्त पाबंदियों के साथ ही लॉकडाउन लगा दिया गया है। चीन की लॉकडाउन पॉलिसी इतनी सख्त है कि, लोग घरों से बाहर तक नहीं निकल पा रहे। सोशल मीडिया पर चीन के करतूतों को खुलासा हो चुका है। अब अपनी पॉलिसी हो लेकर इतना ज्यादा सख्त हो गया है कि उसने कहा है कि, जो भी आवाज उठाएगा उसे जेल जानी पड़ सकती है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोविड-19के बढ़ते मामलों और कड़े लॉकडाउन के बीच देश की शून्य-कोविड नीति पर सवाल उठाने वालों को चेतावनी दी है। सीएनएन न्यूज चैनल के अनुसार जिनपिंग की अध्यक्षता में गुरुवार को बैठक हुई। इसमें सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की सर्वोच्च पोलित ब्यूरो स्थायी समिति ने गतिशील शून्य-कोविड की सामान्य नीति का दृढ़ता से पालन करने और किसी भी ऐसे शब्दों व कृत्यों के खिलाफ दृढ़ता से लड़ने का संकल्प जताया, जो देश की महामारी रोकथाम नीतियों को नकारते हैं।

ऐसा पहली बार हुआ है जब जिनपिंग ने चीन की कोविड के खिलाफ ऐसी सार्वजनिक टिप्पणी की है। स्थानीय मीडिया ने सात सदस्यीय समिति के हवाले से कहा, हमारी रोकथाम और नियंत्रण की रणनीति पार्टी की प्रकृति व मिशन से निर्धारित होती है। हमारी नीतियां इतिहास की कसौटी पर खरी उतर सकती हैं, हमारे उपाय वैज्ञानिक और प्रभावी हैं। समिति ने कहा कि हमने वुहान की रक्षा के लिए लड़ाई जीत ली है और हम नश्चिति रूप से शंघाई की रक्षा के लिए लड़ाई जीतने में सक्षम होंगे। स्थायी समिति ने कार्यकर्ताओं से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा निर्धारित नीतियों की गहन, पूर्ण और व्यापक समझ रखने के लिए भी कहा।

बता दें कि, पिछले काफी दिनों से चीन के कई शहरों की हालत गंभीर बनी हुई है। शंघाई के निवासियों ने भोजन की गंभीर कमी और चिकित्सा देखभाल तक पहुंच की कमी के बीच मदद के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। कई वीडियो सामने आए जिसके बाद चीन सरकार की इस शून्य पॉलिसी की घोर निंदा हुई थी। इसी के बाद जिनपिंग सरकार ने ये फैसला लिया है।