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बरबाद Sri Lanka में चीन ने चली अपनी चाल! हंबनटोटा बंदरगाह पर आ रहा चीनी जासूसी जहाज- भारत को 24 घंटे रहना होगा Alert

श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह आ रहा चीन का शक्तिशाली जासूसी जहाज

चीन की हालत इन दिनों इतनी खराब है कि उसके पास लोगों को देने के लिए बैंक में पैसे नहीं बचे हैं। लोग सड़कों पर चीन की शी जिनपिंग सरकार के लिए जमकर हंगाम कर रहे हैं। चीन सरकार ने लोगों को अपने ही पैसे को बैंक से निकालने पर पाबंदी लगा दी है। जिसके बाद हजारों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन को देखते हुए चीनी सरकार ने बैंकों के बाहर भारी मात्रा में टैंक तैनात कर दिया है। जिसे देखकर लोगों का कहना है कहीं ऐसा न हो की चीन लोगों की आवाज दबाने के लिए फिर से थियानमेन चौक नरसंहार को न दोहरा दे। दरअसल, चीनी ने छोटे देशों को इतना कर्ज दे दिया कि वो खुद ही इसमें फंस गया। चीन की मंसा थी कि छोटे देशों को कर्ज देखर उन्हें अपने जाल में फंसा ले और वहां के सैन्य, बंदरगाहों और एयरपोर्टों पर अपना कब्जा जमा ले। श्रीलंका इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां पर इतिहास में पहली बार इतनी भारी आर्थिक संकट आई है। श्रीलंका इस वक्त पूरी तरह से तबाह हो चुका है। श्रीलंका को चीन ने अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट के तहत इस कदर फंसाया कि उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह डूब गई। यहां की अर्थव्यवस्था जैसे ही डूबी वैसे ही चीन यहां के कई बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया। जिसमें से एक है हंबनटोटा बंदरगाह। अब खबर है कि, इस बंदरगाह पर चीन का शक्तिशाली जासूसी जहाज आ रहा है। इससे भारत को चौकन्ना रहने की जरूरत है।

श्रीलंका में आए आर्थिक भूचाल और राजनीतिक संकट के बीच चीन के जासूसी जहाज यूआन वांग5 के हंबनटोटा में चीनी बंदरगाह पर आने के ऐलान से भारत सतर्क हो गया है। भारत इस पूरे मामले में करीबी नजर रख रहा है। चीन का यह जासूसी जहाज 11 अगस्‍त को आ रहा है जो कथित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में सैटलाइट कंट्रोल और शोध कार्य को अंजाम देगा। चीन का ये जासूस जहास ऐसे समय में आ रहा है जब श्रीलंका की हालत बोहद खराब है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, चीन इस वक्त श्रीलंका के राजनीतिक हालात का फायदा उठाकर अपने जासूसी जहाज को भेज रहा है।

इधर चीन द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद, भारत भी इस बात की जांच कर रहा है कि चीन को श्रीलंका की ओर से इस जहाज की प्रस्‍तावित यात्रा में किस तरह का राजनीतिक और सैन्‍य समर्थन मिल रहा है। भारत लंबे समय से म्‍यांमार से लेकर अफ्रीका तक चीन की ओर से बनाए जा रहे दोहरे इस्‍तेमाल वाले आधारभूत ढांचे पर चिंता जताता रहा है। यह भारत के हितों के लिए सीधे तौर पर एक चुनौती की तरह से है। चीन का यह जाजूसी जहाज 11 अगस्त को आएगा और 17 अदस्त को लौट जाएगा।

श्रीलंका में चीन के बेल्‍ट एंड रोड प्रॉजेक्‍ट (BRI) के निदेशक वाई रानाराजा का कहना है कि, यह चीनी जहाज हिंद महासागर के पश्चिमोत्‍तर हिस्‍से में सैटलाइट कंट्रोल और शोध निगरानी करेगा। BRI डायरेक्‍टर रानाराजा ने ट्वीट करके कहा कि चीन का युआनवांग-5 स्‍पेस ट्रैकिंग जहाज स्‍पेस-ग्राउंड सूचना आदान प्रदान का काम कर रहा है। यह खासतौर पर झोंगकिंग-2ई सैटलाइट को आंकड़े की सहायता देता है ताकि उसके ऑर्बिट को निर्धारित किया जा सके। यह जहाज अभी ताइवान के पास से गुजर रहा है और श्रीलंका की ओर बढ़ रहा है। चीन श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह पर कई गतिविधियों को अंजाम दे रहा है लेकिन यह दुनिया के लिए रहस्‍य बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीनी जहाज तटीय देशों में जासूसी करने की क्षमता से लैस है। बता दें कि, 2014 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब चीनी नौसैनिक जहाज श्रीलंका के दौरे पर इस तरह आ रहा है। इससे पहले वर्ष 2014 में एक चीनी पनडुब्बी हंबनटोटा बंदरगाह पहुंची थी जिसपर भारत की ओर से काफी कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी। खैर अभी यह देखने वाली बात होगी कि चीन यहां से अब अपनी कौन सी चाल चलता है। इस वक्त वो कई देशों के लिए खतरा बना हुआ है। जिसपर भारत अमेरिका और कई बड़े पश्चिमी देश पूरी नजर बनाए हुए है।