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China में तांडव मचा रहा कोरोना, कहां हुई चूक? जिनपिंग के प्रतिबंध अर्थव्यवस्था को डुबो देंगे

Coronavirus in China

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (corona) की दहशत फैल गई है। आलम यह है कि चीन (China) में कोरोना वायरस महामारी को लेकर स्थिति अभी भी नहीं सुधरी है और चीन में दिनों दिन लोग बीमार पड़ते जा रहे हैं क्योंकि कोविड अपने सबसे मजबूत रूप में वापस आया है। अनुमान है कि जून तक चीन में हर हफ्ते 6.5 करोड़ से अधिक कोरोना मामले सामने आ सकते हैं। लेकिन इतने गंभीर हालात के बावूजद चीन की सरकार लॉकडाउन लगाने के मूड में नहीं है। दिसंबर में चीन ने अपनी ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ को खत्म कर दिया था। मगर इस फैसले ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) पर उल्टा असर डाला। चीन जो अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद कर रहा था, अब कुछ ही महीनों के भीतर संक्रमण की नई लहर का सामना कर रहा है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस बार चीन सामान्य जीवन के साथ आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प कर चुका है क्योंकि सरकार का फोकस आर्थिक तरक्की पर है।’ चीन में स्वास्थ्य अधिकारी अप्रैल से ही एक्सबीबी वेरिएंट के कारण कोविड मामलों में बढ़ोतरी की जानकारी दे रहे हैं। दिसंबर की शुरुआत से, चीन ‘वायरस के साथ जीने’ की नीति को प्राथमिकता दे रहा है और तभी से चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र साप्ताहिक मामलों को अपडेट करना बंद कर दिया है।

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नई लहर के पीछे एक्सबीबी वेरिएंट

दिसंबर की शुरुआत में चीन ने कोरोना (corona) प्रतिबंधों में अचानक ढील थी। नतीजा यह हुआ कि कुछ ही हफ्तों बाद अनुमानित 3.7 करोड़ नए मामले सामने आए। जनवरी में विशेषज्ञों ने कहा कि उनका मानना है कि चीन की 1.4 अरब आबादी का लगभग 80 प्रतिशत पहली लहर में संक्रमित हो चुका है। अप्रैल में सामने आई दूसरी लहर को लेकर श्वसन रोग चिकित्सक झोंग नानशान ने कहा कि एक्सबीबी वेरिएंट मई तक 4 करोड़ केस हर हफ्ते और जून तक 6.5 करोड़ मामले प्रति सप्ताह के लिए जिम्मेदार होगा।

लॉकडाउन क्यों नहीं लगा रहा चीन?

अब सवाल यह है कि चीन लॉकडाउन क्यों नहीं लगा रहा? शंघाई में हुआशान अस्पताल के डॉ झांग वेनहोंग ने कहा कि मामलों में वृद्धि का ‘आर्थिक गतिविधि और जीवन पर समग्र प्रभाव नहीं होना चाहिए’ जिसके कारण चीन को कठोर प्रतिबंध और लॉकडाउन का विकल्प न चुनना पड़े। उन्होंने कहा कि चीन को महामारी रोकने के उपाय करने में बहुत सख्ती नहीं दिखानी चाहिए क्योंकि लॉकडाउन देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।