पाकिस्तान पहले ही चौतरफा आर्थिक एवं राजनितिक मार झेल रहा है। पहले ही देश अपने देश के संकटो को दूर नहीं कर पा रहा है कि ऐसे में तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के आतंकियों ने खतरनाक चाल चली है। टीटीपी (TTP) के आतंकी ठीक उसी तरह से पाकिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे उनके आका तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर किया था। टीटीपी के आतंकी अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं और बलूचिस्तान के कलात और मकरान इलाके में नई प्रशासनिक इकाई का ऐलान किया है। यही नहीं ये आतंकी अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत तक पहुंच गए हैं जो पाकिस्तान का दिल कहा जाता है। टीटीपी ने पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब के उत्तरी और दक्षिणी इलाके में इन यूनिट की स्थापना की है। टीटीपी के इस कदम से पाकिस्तानी सुरक्षा हलके में दहशत है और विश्लेषक सरकार को चेतावनी दे रहे हैं।
पाकिस्तानी विश्लेषक मुहम्मर आमिर राणा डॉन अखबार में लिखे अपने लेख में चेतावनी देते हैं कि देश के खराब हालात का फायदा उठाते हुए ये टीपी आतंकी अपनी पकड़ को मजबूत कर रहे हैं और टीटीपी ने पिछले सप्ताह नई मोर्चेबंदी का ऐलान किया है। ये आतंकी अब देश के उन इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं जहां धार्मिक और जातीय विवाद बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि टीटीपी की यह चाल है कि पाकिस्तान के उन इलाकों को निशाना बनाया जाए जो कमजोर है ताकि सुरक्षा बलों के लिए चुनौती पैदा की जा सके।
TTP के आतंकी भी वही रणनीति अपना रहे हैं जिसे तालिबानी कर रहे थे
आतंकियों पर नजर रखने वाले वेब पोर्टल खोरासान डायरी की रिपोर्ट के मुताबिक टीटीपी ने अब पाकिस्तान के अंदर 12 प्रशासनिक इकाइयों की स्थापना कर दी है। इनमें से 7 खैबर पख्तूनख्वा, 1 गिलगिट-बाल्टिस्तान और 1-1 पंजाब तथा बलूचिस्तान में हैं। टीटीपी की इन नई यूनिट का ऐलान ऐसे समय पर किया गया है जब तालिबानी आतंकियों के अफगानिस्तान सीमा से टीटीपी आतंकियों को पाकिस्तान के खर्चे पर हटाने का दावा पाकिस्तानी मीडिया ने किया है। विश्लेषकों का कहना है कि टीटीपी के आतंकी भी वही रणनीति अपना रहे हैं जिसे तालिबानी कर रहे थे और अब उनका अफगानिस्तान पर कब्जा हो गया है।
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आमिर राणा कहते हैं कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने टीटीपी पर दबाव डालने की कोशिश की है। वहीं कुछ ऐसी भी रिपोर्टें आई हैं कि तालिबान का टीटीपी के लिए सपोर्ट न केवल लगातार बना हुआ है, बल्कि बढ़ रहा है।