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चीन को तबाह-बर्बाद करने के लिए अमेरिका ने बनाया फूल प्रूफ प्लान, हमले के लिए एलन मस्क का स्टारशिप रॉकेट तैयार!

चीन की बर्बादी का प्लान तैयार!

यूं तो एलन मस्क के बारे में तमाम तरह की बातें और अटकलें चलती ही रहती हैं, लेकिन अब कहा जा रहा है कि एलन मस्क ने पेंटागन ने चीन का गुरूर तोड़ने के लिए नया प्रस्ताव रखा है। एलन मस्क ने कहा है कि अमेरिकी सेना का इकबाल किसी भी सूरत में बुलंद रहना चाहिए। इसके लिए अगर इंडोपैसेफिक में चीन से दो-दो हाथ करने भी पड़ते हैं तो आगे बढ़ कर करे। एलनमस्क ने कहा है कि अमेरिकी सेनाओं के लिए एक घण्टे से भी कम समय में दुनिया के किसी भी कौने में हथियार और गोला-बारूद पहुंचा सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्होंने स्टारशिप रॉकेट का एक पूरा बेड़ा तैयार करने की बात कही है। यह भी जानकारी मिली है कि पेंटागन ने एलन मस्क के साथ मिलकर ट्रांसपोर्टेशन कमाण्ड भी बना लिया गया है। हालांकि यह अभी ट्रायल पर है। अगर ये ट्रायल कामयाब रहता है तो अगले पांच साल में अमेरिका दुनिया के किसी भी इलाके में महज एक घण्टे में हमला बोल सकती है।

पेंटागन से इस लीक हुए दस्‍तावेज से पता चलता है कि मस्‍क के इस रॉकेट को कई बार इस्‍तेमाल किया जा सकता है और यही वजह है कि इसका इस्‍तेमाल करना भी बहुत कम खर्चीला है।

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अमेरिकी सेना का यह प्‍लान सफल होने पर वह कार्गो विमान का इंतजार किए बिना ही मात्र 60मिनट के अंदर दुनिया में अविश्‍वसनीय गति से सामानों की आपूर्ति कर पाएगी। पेंटागन ने संकेत दिया है कि स्‍पेस लॉन्‍च में सैन्‍य सामानों को भेजने पर फोकस किया जाएगा लेकिन उसने यह भी कहा है कि अंतरिक्ष में इंसानों को भी भेजा जा सकता है। इसमें तीन तरह के इस्‍तेमाल की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि चीन के साथ जंग की सूरत में प्रशांत महासागर में तत्‍काल मदद भेजी जा सकेगी। एयर फोर्स के लिए दुनिया में कहीं भी सामानों की ढुलाई। विश्‍व के किसी देश में अमेरिकी दूतावास पर हमले की स्थिति में तत्‍काल मदद भेजना।

यह अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है कि यह पूरी परियोजना स्‍पेस फोर्स से कितना जुड़ी हुई है। अमेरिकी सेना स्‍पेस जुड़ी गतिविधियों से निपटने के लिए स्‍पेस फोर्स बना रही है। स्‍पेस फोर्स एक गश्‍त लगाने वाली सेना है जो चंद्रमा पर नजर रखती है और खतरों पर नजर रखती है। स्‍पेसएक्‍स का यह रॉकेट 165फुट लंबा है और पिछले काफी समय से अमेरिकी सरकार के रेडॉर पर है। अमेरिकी वायुसेना को यह काफी फायदेमंद लग रहा है।

ध्यान रहे, अमेरिका ने अपनी स्पेस आर्मी का गठन कर लिया है। इसका गठन चीन की अंतरिक्ष की गतिविधियों को देखते हुए किया गया था। चीन से पहले अमेरिका के सामने केवल रूस ही एक चुनौती था। लेकिन चीन से ऐसे संकेत मिले कि वो अमेरिका को चौंकाने के लिए स्टार वॉर यानि अंतरिक्ष युद्ध शुरु कर सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बुधवार को पहली बार तुर्की पहुंचे। सलमान की इस यात्रा का मकसद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से मुलाकात कर दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को दूर करना है। सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब और तुर्की के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। दरअसल, तुर्की और सऊदी अरब, दोनों ही खुद को इस्लामिक दुनिया का प्रतिनिधि मानते हैं, और ऐसे में दोनों के बीच अलग-अलग मुद्दों को लेकर अक्सर मतभेद रहते हैं। यही वजह है कि सलमान की तुर्की यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है।

 

इजिप्ट और जॉर्डन भी गए थे प्रिंस सलमान

 

 

 

प्रिंस सलमान इजिप्ट और जॉर्डन भी गए थे, और वह अपनी यात्रा के आखिरी चरण में अंकारा पहुंचे हैं जहां वह तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से मुलाकात करेंगे। वह मिस्र और जॉर्डन भी गए थे। अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बायडेन भी मिडिल ईस्ट की यात्रा पर आने वाले हैं। इस बीच एर्दोआन ने कहा कि सऊदी प्रिंस के साथ बातचीत तुर्की तथा सऊदी अरब रिश्तों को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने पर केंद्रित होगी। तुर्की के राष्ट्रपति इस साल अप्रैल में सऊदी अरब गए थे और यह 2017 के बाद उनकी अरब देश की पहली यात्रा थी।

 

अक्टूबर 2018 में हुई थी खशोगी की हत्या

एर्दोआन की इस यात्रा के लगभग एक साल बाद अक्टूबर 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में पत्रकार खशोगी की बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी। पिछले 2 दशकों में अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहे तुर्की की कोशिश है कि सऊदी अरब से उसके रिश्ते सुधर जाएं, जिससे कि उसे खाड़ी के अमीर अरब देशों से इन्वेस्टमेंट मिल सके। तुर्की ने संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और इजरायल से भी अपने रिश्ते सुधारने के लिए कदम उठाए हैं। वहीं, अमेरिका से रिश्तों में तनाव के बीच सऊदी अरब अपना दायरा बढ़ाने के लिए ने साझेदारों की तलाश में है।

 

 

26 सऊदी एजेंटों के खिलाफ चला था मुकदमा

प्रिंस सलमान की पूरी कोशिश होगी कि वह एर्दोआन के साथ मुलाकात में खशोगी हत्याकांड के विवाद को खत्म कर दें। तुर्की ने खशोगी की हत्या के शक में सऊदी के 26 एजेंटों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था, हालांकि बाद में अदालत ने कार्यवाही पर रोक लगाकर मुकदमे को सऊदी अरब ट्रांसफर कर दिया। एर्दोआन ने खशोगी की हत्या के मामले में प्रिंस सलमान का नाम कभी सीधे तौर पर नहीं लिया था, लेकिन इतना जरूर कहा था उनकी हत्या का आदेश सऊदी सरकार में ‘शीर्ष स्तर’ से आया था।