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खून से सना हुआ Pakistan का सियासी इतिहास, इमरान खान को भी नहीं बख्शा

पाकिस्तान का इतिहास बेहद खराब

सदाबहार दोस्त चीन को छोड़ कर यूं ही अन्य देश पाकिस्तान (Pakistan) को एक आंख नहीं भाते है। जब पाकिस्तान खुद का ही नहीं हुआ तो भला किसी और का कैसे होगा। वहीं अभी कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था, जिसके बाद अमेरिकी राजदूत को तलब किया गया। बिडेन का ये बयान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कोई नियंत्रण न होने और देश की अस्थिर राजनीति को लेकर था। वैसे अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना कहा एकदम सही था। पाकिस्तान के बनने से लेकर आज तक इसका इतिहास खून से रंगा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमला देश में अस्थिरता की गवाही दे रहा है।

गुरुवार का वो दिन जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को गोली मार दी गई। इमरान खान पर ये हमला तब हुआ जब वह सरकार विरोधी मार्च कर रहे थे। इमरान पर AK-47 से हमला हुआ। उनके सहयोगियों ने इसे साफ तौर से हत्या का प्रयास बताया। 70 साल के इमरान के पैर में गोली लगी है। इमरान हमले में बच गए हैं, लेकिन ये दिखाता है कि पाकिस्तान में राजनीति और हिंसा एक दूसरे से दूर नहीं हैं।

पाकिस्तान बनने के साथ शुरू हुई हिंसा

कंगाल पाकिस्तान लाखों लोगों की बलि चढ़ा कर बना था। उन लोगों की बात अगर न करें तो भी पाकिस्तान अपने बनने के बाद से ही राजनीतिक हिंसा देख रहा है। सबसे पहली हिंसा पाकिस्तान बनने के चार साल बाद 1951 में देखी गई जब देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खां को रावलपिंडी में एक सार्वजनिक बैठक में गोली मार दी गई थी। दूसरी बार पाकिस्तान में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को जनरल जिया-उल हक ने तख्तापलट कर हटा दिया और 1979 में फांसी दे दी। बाद में 1979 में जिया की भी एक हवाई हादसे में मौत हो गई, जिसे कुछ लोग राजनीतिक दुश्मनों की साजिश बताते हैं।

पाकिस्तान में कट्टरपंथियों से रही जंग

अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंट पर हमले (9/11) के बाद हिंसा और भी बढ़ी। इसका कारण पड़ोसी अफगानिस्तान रहा, जहां से अल-कायदा ने दुनिया के सबसे खतरनाक हमले की साजिश रची थी। पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में लड़ाई, बमबारी और हत्याओं के मामले देखे गए। इसके पीछे का कारण इस्लामिक चरमपंथी थे, जिनके साथ सेना लड़ाई लड़ रही थी। हालांकि दोनों की लड़ाई में हमेशा की तरह आम पाकिस्तानी का ही नुकसान हुआ। इसी दशक में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को भी टार्गेट किया गया।

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बेनजीर भुट्टो की हुई थी हत्या

बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो थे। बेनजीर का कत्ल पाकिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक हिंसा में से एक है। 2007 में चुनाव प्रचार के दौरान कराची में एक आत्मघाती बम धमाके में वह बच गईं, लेकिन रावलपिंडी में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई। अपनी मौत से पहले बेनजीर दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकी थीं। उनकी मौत से दुनिया भर में पाकिस्तानी अधिकारियों की अलोचना हुई, क्योंकि वह पूर्व पीएम को सुरक्षा देने में नाकामयाब रहे। उनके हत्यारे अज्ञात हैं, लेकिन माना जाता है कि उनकी मौत के पीछे जनरल परवेज मुशर्रफ का हाथ था।