अफगानिस्तान में तालिबान ने जब से कब्जा किया है तब से भारत से मदद की आस में बैठा हुआ है। यहां तक की तालिबान कई बार भारत से गुहार लगा चुका है कि वो अफगानिस्तान में उसके परियोजानों पर कोई आंच नहीं आने देगा लेकिन इसके लिए दोनों देशों के संबंध बनने जरूरी हैं, लिहाजा भारत उसका समर्थन करे। लेकिन भारत ने अपना पक्ष साफ किया था कि वो किसी भी तरह के आतंकियों को समर्थन नहीं करेगा और जहां तक तालिबान की बात रही है तो भारत ने वेट एंड वाच वाली स्ट्रेटजी अपनाई और अब इंडिया और अमेरिका ने तालिबान को से कहा है कि जैश जैसे संदठनों पर तुरंत कार्रवाई करे।
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भारत और अमेरिका के अधिकारियों के बीच आतंकवाद से निपटने को लेकर हुई संयुक्त वार्ता के समापन पर दोनों देशों ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाह के रूप में नहीं कर पाएं। अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में आतंकवाद रोधी सहयोग की पुन: पुष्टि करते हुए दोनों पक्षों ने कानून प्रवर्तन, सूचना साझेदारी, श्रेष्ठ तौर-तरीकों का आदान-प्रदान करने और आतंकवाद रोधी चुनौतियों पर सामरिक अभिसरण पर सहयोग का और विस्तार करने का संकल्प किया।
अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के लोगों और भारत सरकार के साथ खड़े होने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, 26 और 27 अक्टूबर को हुई संयुक्त वक्तव्य की बैठक में आतंक को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा हुई। दोनों देशों ने छद्म आतंकवादियों का इस्तेमाल और सीमा पर आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की और मुंबई में हुए 26?11 आतंकवादी हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की।
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UNSC द्वारा प्रतिबंधित अल-कायदा, आईएसआईएस/दायेश, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ संगठित कार्रवाई करने की मांग की। की मांग की वक्तव्य में कहा गया कि, UNSC के संकल्प 2593 (2021) के अनुरूप दोनों पक्ष तालिबान से यह सुनिश्चित करने की मांग करते हैं कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अब कभी भी किसी देश पर हमला करने या उसे डराने के लिए, आतंकवादियों को पनाह देने और प्रशिक्षण देने या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या उनकी आर्थिक मदद करने के लिए नहीं किया जाए।