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ड्रैगन की खैर नहीं! China के खिलाफ भारत-अमेरिका का चक्रव्यूह, कैसे बचेगी जिनपिंग की गर्दन?

भारत-अमेरिका के चक्रव्यूह में बुरा फंसेगा चीन

चीन (China) का मुकाबला करने के लिए भारत और अमेरिका संयुक्त रूप से प्रशांत और हिंद महासागर में जहाज वायु सेना तैनात कर सकते हैं। दरअसल,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वॉशिंगटन दौरे के बाद अमेरिका अब खुलकर चीन की मुखालफत कर रहा है। हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के खास कहे जाने वाले अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने चीन को लेकर कड़ा बयान दिया है। एरिक ने कहा कि अमेरिका और भारत समुद्री सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को एक साथ तैनात कर सकते हैं। इसे सीधे चीन के लिए चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।

चीन पर आगबबूला है अमेरिका

पीएम मोदी के अमेरिका पहुंचने के एक दिन पहले ही बाइडन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तानाशाह कहा था। गार्सेटी का यह बयान तब आया है, जब भारत ने दो-टूक लहजे में कहा है कि चीन (China) से लगे सीमा क्षेत्रों में स्थिति अभी सामान्य नहीं हुई है। इसलिए, दोनों देशों के बीच संबंध अभी भी पटरी पर नहीं लौट सकते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तीन साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध के बीच बुधवार को कहा था कि सीमा पर स्थिति भारत और चीन के बीच संबंधों की स्थिति तय करेगी। उन्होंने कहा था कि आज सीमा पर स्थिति अब भी असामान्य है।

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चीन की आक्रामकता को लेकर की आलोचना

अमेरिकी राजदूत ने स्पष्ट रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी को समझाने की पूरी कोशिश की। उन्होंन कहा कि भारत के साथ प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में ये अवसर पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हैं। गार्सेटी ने चीन और रूस पर निशाना साधते हुए कहा कि शांति, सुरक्षा का एक प्रमुख घटक है। जैसा कि हमने दुर्भाग्य से पिछले तीन वर्षों में देखा है, हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जिसमें देश संप्रभु सीमाओं की अनदेखी करते हैं, हिंसा और विनाश के माध्यम से अपने दावों को आगे बढ़ाते हैं।