चीन इस वक्त कई देशों की अर्थव्यवस्था की चाभी अपने हाथ में ले रखा है। छोटे-मोटे देशों को अपनी लुभावनी चाल में फंसा कर ड्रैगन उनकी जमीनों को हड़प रहा है। चीन की कर्ज जाल में श्रीलंका और पाकिस्तान इसके उदाहरण हैं। इसके साथ ही ड्रैगन अपने BRI यानी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। यह दुनिया के कई देशों से होकर गुजरता है और इसके में कई देश चीन की जाल में फंस भी चुके हैं। चीन के लिए यह प्रोजेक्ट काफी महत्व रखता है। इस बीच भारत ने ड्रैगन को करारा झटका देते हुए TDC लॉन्च किया है। जिसे देख ड्रैगन भन्ना उठा है।
विदेश मंत्रालय ने ट्राइलेटरल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (टीडीसी) फंड लॉन्च किया है। इसके जरिए हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करने की तैयारी है। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में सरकार निजी सेक्टर की कंपनियों को भी शामिल करने वाली है। इन कंपनियों के साथ मिलकर सरकार भी बड़ा निवेश करेगी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी इस फंड के जरिए निवेश किया जाएगा।
चीन ने बीआरआई प्रोजेक्ट की बात करें तो, ड्रेगन इसके जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान के रास्ते यूरोप तक जाने का प्लान बनाया है। इसी के तहत वह चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर को तैयार कर रहा है, जिस पर भारत ने ऐतराज जताया था। क्योंकि, यह कॉरिडोर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, यूके के साथ मिलकर भारत ने इंडिया ग्लोबल इनोवेशन पार्टनरशिप लॉन्च किया है। यह भी सरकार के टीडीसी फंड का ही हिस्सा माना जा रहा है। पीएम मोदी और बोरिस जॉनसन की मौजूदगी में इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया है।
इस फंड को लेकर कहा जा रहा है कि, इसके जरिए भारत की ओर से जापान, जर्मनी, फ्रांस और यूरोपियन यूनियन के साथ मिलकर काम किया जाएघा। भारत की ओर से ग्लोबल इनोवेशन पार्टनरशिप में जो निवेश किया जाएगा, वह टीडीसी फंड के जरिए होगा। इसके साथ हीं, GIP के जरिए अफ्रीका, एशिया और इंडो-पैसेफिक में निवेश किया जाएगा। खासतौर पर उन स्थानों पर निवेश को बढ़ाया जाएगा, जहां भारतीय कंपनियों पहले से निवेश करती रही हैं। विदेश मंत्रालय लंबे समय से ऐसे प्रोजेक्ट पर विचार कर रहा था, जिसके तहत भारतीय कंपनियों को विदेशों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। ग्लोबल इनोवेशन पार्टनरशिप के जरिए भारत के 60 स्थानों पर निवेश को मदद मिलेगी, जो तीसरी दुनिया के देशों में किए गए हैं।