चीन की बातों पर जल्द भरोषा कर लेने ठीक नहीं है। क्योंकि, वह जब-जब शांति की बात किया है या फिर दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाया है तो दूसरे हाथ से पीठ में खंजर घोंपने से बाज नहीं आया है। एक ओर तो चीन शांति की बात करता है लेकिन, दूसरी ओर वो देश की सिमाओं पर अपनी सैनिकों की न सिर्फ वृद्धि करता है बल्कि कई किलोमीटर तक अंदर भी कब्जा किया। लेकिन, इस बार चीन को भारत ने ऐसा मुंह तोड़ जवाब दिया कि चीन अंत में मान गया कि अब भारत से पंगा लेना उसके बस की बात नहीं। ये नया भारत है जो बोलता भी है और जरूरत पड़ने पर अपनी ताकत भी दिखाने से पीछे नहीं हटता। अब चीन भारत का गुणगान कर रहा है। खासतौर पर जब से चीन के विदेश मंत्री भारत दौरे से गए हैं तब से ही वो भारत की तरफदारी कर रहे हैं।
चीनी विदेश मंत्री यांग यी ने अपनी भारत यात्रा के बाद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अनुभव किया कि भारत और चीन दोनों एक दूसरे के लिए खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान हमने अनुभव किया कि दोनों देश शांति बनाए रखने की अपनी पूर्व सहमति पर सहमत हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने मतभेदों को आपसी सहमति के आधार पर सुलझाएंगे। 25 मार्च को अपनी अघोषित दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ लगभग तीन घंटे तक बातचीत की थी। इस दौरान उनके बीच लद्दाख गतिरोध और सीमा-विवाद जैसे कई मुद्दों पर वार्ता हुई थी।
इस यात्रा को लेकर चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि, मैंने अनुभव किया कि दोनों देश सतत शांति के पक्षधर हैं। दोनों देश विकास की संभावनाओं पर एक दूसरे के साथ हैं। वर्षों से चल रहे सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर सामान्य बातचीत के द्वारा सुलझाया या प्रबंधित करें। दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों और सतत विकास को बढ़ावा दें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारत और चीन प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि सहयोगी हैं, दोनों देशों को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। वांग यी ने यह भी कहा कि, चीन और भारत एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं। दोनों एक-दूसरे को अवसर प्रदान करते हैं। सीमा को लेकर उन्होंने कहा कि, भारत और चीन को सीमा मुद्दे पर मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थिति में रखना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।