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पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर भारत-चीन में लगी होड़? ड्रैगन ने बिछाया जाल, भारत भी पीछे नहीं

पैंगोंग त्सो पर भारत-चीन की सेना आमने-सामने

गलवान में भारतीय और चीनी (india-china) सेनाओं में हिंसक झड़प के तीन साल बाद भी अब तक पैंगोंग त्सो के आसपास खूब तनाव बना हुआ है। इस इलाके में दोनों देशों की सेनाओं ने अपने-अपने टैंकों को आमने-सामने तैनात कर रखा है। चीन पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने के लिए एक पुल बनाने की जल्दी में है। जबकि भारत भी उत्तरी तट पर अपनी तरफ एक ब्लैक-टॉप सड़क का निर्माण कर रहा है। लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद से ही दोनों देश सीमा से सटे इलाकों में तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं। इसने पूर्वी लद्दाख मे जमीन पर यथास्थिति को स्थायी रूप से बदल दिया है।

भारत ने सड़कें और लैंडिंग ग्राउंड बनाए

द हिंदू की रिपोर्ट में एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से बताया गया है कि हमारी तरफ फिंगर 4 की ओर ब्लैक-टॉप रोड का निर्माण जारी है और 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। बुनियादी ढांचे, रोड नेटवर्क, अपग्रेडेड लैंडिंग ग्राउंड जैसे डेवलपमेंट पर ज्यादा फोकस है। एक दूसरे अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की है।

चीन भी तेजी से कर रहा काम

पैंगोंग त्सो के आसपास चीन भी तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। एक सूत्र ने बताया है कि पैंगोंग पर मुख्य पुल पर काम चल रहा है, जबकि दूसरे पुल का काम पूरा हो चुका है। हाल में ही उत्तरी तट पर निर्माण सामग्री के साथ बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियां देखी गई हैं। एक अन्य आधिकारिक सूत्र ने खुफिया जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि चीन पुल के अलावा शेडोंग गांव की ओर दक्षिणी तट पर सड़क मार्ग पर भी तेजी से काम कर रहा है। इसके अलावा, यूली में G-0177 एक्सप्रेसवे के साथ 22 किमी लंबी सुरंग निर्माणाधीन है, जो तिब्बत में बहुत महत्वपूर्ण G-216 राजमार्ग से जुड़ रही है।

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पैंगोंग त्सो में गतिरोध अब भी बरकरार

135 किमी लंबी बूमरैंग आकार की पैंगोंग झील का एक तिहाई हिस्सा भारत के पास है, जबकि बाकी का चीन के पास। चांग चेन्मो पर्वत श्रृंखला के हिमनद झील तो छूने वाले पर्वतीय क्षेत्रों को फिंगर्स कहा जाता है। भारत ने हमेशा झील को फिंगर 4 तक अपने कब्जे में रखा है, लेकिन उसका दावा फिंगर 8 तक चलता है, जहां से भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा गुजरती है। भारत ने कई मौकों पर फिंगर 8 तक अपना दावा पेश किया है। वहीं, उत्तरी तट पर दक्षिणी तट की तुलना में एलएसी की धारणा में बहुत अधिक अंतर है। यहीं से मई 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पों की शुरुआत हुई थी। जुलाई और अगस्त 2020 में दोनों देशों के बीच कैलाश रेंज को लेकर तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया था।