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Indian Air Force ने कहा- हम भी इंतजार में बैठे हैं, एक गलती करते ही छोड़ देंगे China में…

LAC पर चीन को को अपनी एक हरकत का चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत

भारतीय जवानों के साहस और उनकी ताकत के बारे में पाकिस्तान और चीन दोनों देशों को ही अच्छे से पता है। उरी-पुलवामा का बदला भारत ने पाकिस्तान के घर में घुस कर लिया था। वहीं, चीन जब गलवान वैली में कब्जा करने आया तो यहां पर भारत के जवानों ने उसे ऐसा सबक सिखाया कि चीन को अब तक हजम नहीं हो पाया है। चीन लगातार घुसपैठ की फिराक में है जिसके लिए वो एलएसी के पास भारी मात्रा में आर्मी तैनात कर रखा है और साथ ही यहां पर सैन्य अड्डे बना रहा है। इधर भारत ने भी बॉर्डर पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से कमर कस कर रखी है। अब भारतीय वायुसेना ने भी कह दिया है कि, एलएसी पर चीन की गतिविधियों पर हम लगातार नजर बनाए हुए हैं। अगर वो भारतीय क्षेत्र में घुसे तो उन्हें मुंहतोड़ जोवाब मिलेगा।

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line Of Actual Control) के पार हवाई गतिविधियों पर लगातार नज़र रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि जब भी चीन की तरफ से फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर कुछ भी गतिविधि होती है तो उसके उचित उपाय किए जाते हैं। जून के अंतिम सप्ताह में, एक चीनी विमान ने कथित रूप से भारतीय एलएसी का उल्लंघन किया था और कुछ मिनटों के लिए फ्रिक्शन प्वाइंट पर उड़ान भरी थी। भारतीय राडार द्वारा लड़ाकू विमान का पता लगाया गया था और भारतीय लड़ाकू विमानों को PLAAF लड़ाकू को काउंटर करने के लिए लॉन्च किया गया था।

उन्होंने कहा कि, एलएसी के पार हवाई गतिविधि पर हमारे द्वारा लगातार नजर रखी जाती है। जब भी हमें लगता है कि चीनी विमान एलएसी के कुछ ज्यादा ही नजदीक आ रहे हैं, तो हम अपने लड़ाकू विमानों को और अपने सिस्टम को हाई अलर्ट पर रखकर उचित कदम उठाते हैं। बता दें कि, इस वक्त उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का 16वां दौर पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष फ्रिक्शन प्वाइंट में मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ आयोजित किया जा रहा है। क्षेत्र में एलएसी के भारतीय हिस्से में चुशुल मोल्दो बैठक बिंदु पर सुबह करीब 9:30 बजे बातचीत शुरू हुई।

बत दें कि, 5 मई 2020 से लद्दाख सेक्टर में शुरु हुआ गतिरोध खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यहां पर चीनी पीएलए ने बड़ी संख्या में पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे में प्रवेश किया और सभी स्थापित और सहमत प्रोटोकॉल और समझौतों के उल्लंघन में एक अस्वीकृत 1959 रेखा खींचने की कोशिश की। जिसके बाद दोनों सेनाओं के बाच खून संघर्ष हुआ और इसमें चीन को भारी नुकसान हुआ है। अब तक इसे लेकर 15 दौरे की बातचीत हो चुकी है लेकिन, इसके बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब 16वें दौर की बातचीत हो चुकी है। जिसमें भारत ने चीन के ऊपर एलएसी को लेकर दबाव बनाया है।