चीन(China) और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना सीमा पर सदैव मुस्तैद रहती है। समय-समय पर अभ्यास भी करती रहती है। सेना ने दुनिया की सबसे ऊंची नदी घाटियों में से एक बड़ी संख्या में टैंक और बख्तरबंद वाहन तैनात कर सिंधु नदी को पार करने और दुश्मन के ठिकानों पर हमले करने के लिए पूर्वी लद्दाख में अभ्यास किया। टी-90 और टी-72 टैंकों और बीएमपी पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों सहित भारतीय सेना ने एक टैंक फॉर्मेशन बनाया। पहली बार बोफोर्स तोप का स्वदेशी वर्जन धनुष तोप को लद्दाख में चीन सरहद पर 15 हजार फुट पर तैनात किया गया है। बता दें कि पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले सिंधू नदी पूरे लद्दाख सेक्टर के माध्यम से चीनी (China) सेना द्वारा नियंत्रित तिब्बती क्षेत्र से होकर बहती है।
आर्टिलरी रेजिमेंट के कैप्टन वी मिश्रा ने कहा कि धनुष होवित्जर 48 किलोमीटर तक टारगेट पर हमला कर सकता है और इसे पिछले साल ही पूर्वी लद्दाख सेक्टर में शामिल किया गया है। पूर्ववर्ती आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा विकसित और निर्मित 114 बंदूकें भी भारतीय सेना में शामिल होंगी।
एम4 क्विक रिएक्शन फोर्स व्हीकल
एक और मेड इन इंडिया प्लेटफॉर्म एम4 क्विक रिएक्शन फोर्स व्हीकल (M4 Quick Reaction Force Vehicles) है जो सैनिकों को तेज गति से ले जाने के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। यह युद्ध के लिए तैयार 10 सशस्त्र सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा की फॉरवर्ड लोकेशंस पर ले जा सकता है। सेक्टर में तैनात सेना के अधिकारियों ने कहा कि लद्दाख सेक्टर के कठिन इलाके में भी यह लगभग 60-80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ सकता है।
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ऐसे हल्के कवच-संरक्षित वाहनों की आवश्यकता तब महसूस की गई जब सैन्य गतिरोध के शुरुआती चरणों में आमने-सामने की स्थिति के दौरान प्रतिद्वंद्वी सैनिक अग्रिम स्थानों तक जल्दी पहुंचने के लिए अपने तेज गति वाले वाहनों का उपयोग कर रहे थे।एम4 क्विक रिएक्शन फोर्स वाहनों को पिछले साल बल में शामिल किया जाना शुरू हुआ था। सेना की पूर्वी लद्दाख सेक्टर के फॉरवर्ड एरिया में अधिक संख्या में ऐसे वाहनों को शामिल करने की योजना है।