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China को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना तैयार, इंडियन आर्मी ने LAC पर बनाया यह प्लान

चीन (China) अपने ही खोदे हुए गड्ढे में खुद ही गिरता नज़र आ रहा है। भारत से पन्गा लेना चीन को भरी पड़ गया है। भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बने अपने सैन्य अड्डों को बनाए रखने में चीन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते चीन ने अपने सैनिकों की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को बनाए रखने में कई सोलर और जल विद्युत प्लांट तैयार कर रहा है। सुरक्षा बलों के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को जानकारी देते हुए बताया कि 2020-21 में बड़े पैमाने पर तैनाती के बाद चीनियों को वहां मिलिट्री बेस को बनाए रखने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

LAC पर करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती

सूत्रों ने बताया खासतौर पर सर्दी के मौसम में चीनी (China) आर्मी को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने साल 2020 की गलवान झड़प के बाद एलएसी पर करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की है। इसके चलते अग्रिम क्षेत्रों में सेना की ऊर्जा आवश्यकताएं काफी बढ़ गई हैं, जहां गर्मियों में भी तापमान बहुत कम होते हैं। चीनियों ने अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को भी बड़े पैमाने पर उन्नत किया है क्योंकि बड़े सैनिकों की तैनाती के चलते नए आवास और गांव बनाए गए हैं।

China को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना तैयार

सूत्रों ने कहा कि चीनियों ने बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रखी है और चीन अपने लंबे समय तक की तैनाती के लिए यह कदम उठा रहा है। भारत ने भी किसी भी संभावित दुर्घटना से निपटने के लिए पूर्वी लद्दाख सेक्टर में लगभग इतनी ही संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। वहीं बीते सोमवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार भारत की सीमाओं की शुचिता का कभी भी उल्लंघन नहीं होने देगी और मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत चल रही है।

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राजनाथ सिंह ने यहां एक राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर लंबे समय से धारणा संबंधी मतभेद रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘मैं दोहराना चाहता हूं कि 2013 से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ गतिविधियां हुई हैं, लेकिन मैं इन दावों को सिरे से खारिज करता हूं कि हमारी सरकार बनने के बाद एलएसी पर कोई महत्वपूर्ण बदलाव या अतिक्रमण हुआ है।’