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भारतीय जवानों से नहीं ले पाया लोहा तो पाकिस्तान के पास पहुंच चीन, LoC पर बना रहा Pak Army के लिए बंकर

LoC पर Pakistani Army के लिए बंकर बना रहा China

भारतीय जवानों के साहस और उनकी ताकत के बारे में पाकिस्तान और चीन दोनों देशों को ही अच्छे से पता है। उरी-पुलवामा का बदला भारत ने पाकिस्तान के घर में घुस कर लिया था। वहीं, चीन जब गलवान घाटी में कब्जा करने आया तो यहां पर भारत के जवानों ने उसे ऐसा सबक सिखाया कि चीन को अब तक हजम नहीं हो पाया है। अब जब चीन इंडियन आर्मी के आगे नहीं टिक पाया है तो पाकिस्तान के पास पहुंच गया है। खबर है कि पाकिस्तानी आर्मी के लिए चीन बंकर बना रहा है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को इस बात की जानकारी दी है कि एक चीनी निर्माण कंपनी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में अपना कार्यालय स्थापित किया है। साथ ही मुजफ्फराबाद और अथमुकम से सटे क्षेत्रों में हो रहे कार्यों को नियंत्रित कर रही है। एजेंसियों ने कहा कि चीनी कंपनी मई से पाकिस्तानी सेना के लिए बंकरों का नवीनीकरण और नए निर्माण कर रही है। चीनी कंपनियों ने पहले भी पीओके में निर्माण किया है, लेकिन यह पहली बार है जब एलओसी पर इस तरह की परियोजना शुरू की गई है। आपको बता दें कि यह क्षेत्र पीओके की नीलम घाटी से सटे केल सेक्टर में पाकिस्तानी सेना 32 डिवीजन के अंतर्गत आता है।

बीजिंग ने पहले अपने जवानों और मशीनों को राजस्थान में बीकानेर के सामने पाकिस्तानी धरती पर भेजा था। यहां एक फॉरवर्ड एयरबेस को अपग्रेड किया गया था और 350 से अधिक स्टोन बंकरों और सीमा चौकियों का नवीनीकरण किया गया था। खैर चीन और पाकिस्तान एक साथ भी मिल जाने के बाद भी भारतीय जवानों को कुछ नहीं कर सकते हैं। ये दोनों ही किस्मत के मारे हैं। क्योंकि, दोनों देशों को भारती मां के वीर सपूतों में ऐसी सबक सिखाई है कि इन्हें जिंदगी भार याद रहेगा।

पाकिस्तान और चीन अगले साल जम्मू और कश्मीर में भारत की ओर से आयोजित किए जा रहे G-20 नेताओं की बैठक पर आपत्ती जताई है। इनको आपत्ती जताने का हक ही नहीं है। बल्कि, पाकिस्तान को सबसे पहले बलूचिस्तान और pok पर से अपने अवैध कब्जे से तुरंत हट जाना चाहिए। बता दें कि, जम्मू कश्मीर 2023 में जी-20 की बैठकों की मेजबानी करेगा। इस प्रभावशाली समूह में विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने समग्र समन्वय के लिए पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बनाई है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने के बाद यहां प्रस्तावित यह पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठक होगी।