अमेरिका से तनाव के बीच ईरान (Iran) ने अपनी मिसाइलों के लिए रैमजेट इंजन को बढ़ा लिया है। रैमजेट इंजन की तकनीक काफी उन्नत मानी जाती है। इस तरह की तकनीक सिर्फ चुनिंदा देशों के पास ही है। इस इंजन से ईरानी मिसाइलों की शक्तियां कई गुना बढ़ जाएंगी। ईरान रैमजेट इंजन से चलने वाली एक नई नौसैनिक क्रूज मिसाइल का भी परीक्षण कर रहा है। ईरानी मीडिया का दावा है कि रैमजेट से लैस मिसाइलें ईरान के दुश्मनों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में काफी प्रभावी भूमिका अदा करेंगी।
क्यों है रैमजेट तकनीक इतनी खास?
ईरान का कहना है कि उसकी नई मिसाइल में रैमजेट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह एक अडवांस एयर ब्रीथिंग इंजन होता है, जिसमें कोई बड़ा पार्ट नहीं होता जो मिसाइल के आकार पर प्रभाव डाले। यह इंजन हवा में मिसाइल को तेज गति से आगे बढ़ाने में काम आता है। अब तक, रूस, चीन, भारत और अमेरिका सहित दुनिया भर में केवल कुछ ही देशों के पास रैमजेट तकनीक है। इसस तकनीक के जरिए ही हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल को तेज गति से उड़ान भरने योग्य बनाया जाता है।
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रैमजेट इंजन से ईरानी मिसाइल को मिलेगी ताकत
नई मिसाइल पर ईरानी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नौसैनिक क्रूज मिसाइलों में रैमजेट इंजनों के इस्तेमाल और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के विकास से किसी भी सैन्य संघर्ष की स्थिति में ईरान की प्रतिक्रिया शक्ति में काफी वृद्धि होगी। इससे हमला करने वाले देशों के खिलाफ समय पर और निर्णायक कार्रवाई की जा सकती है।स्क्रैमजेट तकनीक की तरह, हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक केवल कुछ ही देशों के पास है, जिनमें रूस, चीन और संभवत उत्तर कोरिया शामिल हैं अमेरिका ने 2010 के दशक में सेना की विभिन्न शाखाओं के लिए लगभग आधा दर्जन विभिन्न हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रमों पर काम करने की योजना बनाई थी, लेकिन आज तक, किसी ने भी एक भी काम के लायक हाइपरसोनिक मिसाइल नहीं बनाई है।