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China के खिलाफ Japan का बयान, PM बोले- अपने मिसाइलों को संभालो वरना हम छोड़ेंगे तो…

चीन का जापान ने किया विरोध

नेंसी पेलोसी की ताइवान की सफल यात्रा से चीन बुरी तरह बौखला उठा है। उनकी यात्रा से पहले चीन तरह से जंग की धमकी दे रहा था उसे लगा था कि अमेरिका पेलोसी के ताइवान भेजने के अपने फैसले से पीछे हट जाएगा। लेकिन, नेंसी पेलोसी ने चीन को करारा जवाब देते हुए न सिर्फ ताइवान गई बल्कि, वहां से उन्होंने साफ किया कि ताइवान के साथ अमेरिका हर हाल में खड़ा है। इसी के बाद से बौखलाए चीन ने ताइवान को 6ओर से घेर कर सैन्यअभ्यास शुरू कर दिया है। यहां चीन लगातार मिसाइलों और रॉकटों की बारिश कर डराने की कोशिश कर रहा है। चीन की ओर से अत्याधुनिक जे-20विमानों और हाइपरसोनिक मिसाइलों को इसमें शामिल किया गया है। चीन का ये अभ्यास ताइवान की सीमा से केवल 20से 25किमी की दूरी पर हो रहा है। चीन ने ताइवान के आसपास कई जगहों पर मिसाइल दागीं। जिसपर जापान का रिएक्शन आया है।

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने कहा है कि जापान चीन के इस फैसले का जमकर विरोध करता है क्योंकि इसने उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित किया है। वहीं, कहा जा रहा है कि, चीन ने ताइवान के पास 100फाइटर जैट उड़ाए। इससे पहले बुधवार को चीन के 27लड़ाकू विमान ताइवान के एयर जोन में दाखिल हो गए थे। चीन ने अपनी बौखलाहट जारी रखते हुए गुरुवार को भी 11बैलिस्टिक मिसाइल ताइवान के आसपास दागीं। इनमें से कुछ तो जापान में जाकर लैंड हुईं, जिसपर जापान अपना विरोध जता रहा है।

चीन द्वारा दागी गई पांच बैलिस्टिक मिसाइलें जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में गिरीं हैं। जिसपर जापान के विदेश मंत्री नोबुओ किशी ने भी कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि, ताइवान के आसपास चीन के सैन्य अभ्यास को तत्काल रोक देने के लिए कहा है। जापान के विदेश मंत्री नोबुओ किशी ने संवाददाताओं से कहा कि जापान के ईईजेड में पांच चीनी मिसाइलों का इस तरह गिरना पहली बार है। हमने राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध जताया है। यह क्षेत्र जापान के प्रादेशिक समुद्रों की बाहरी सीमा से 200 समुद्री मील तक फैला है और उत्तर कोरियाई मिसाइल अतीत में जापान के ईईजेड के एक अलग हिस्से में गिर चुकी हैं, जिनमें इस साल की शुरुआत में कई लॉन्च शामिल हैं।

अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो यह साफ है कि अमेरिका के साथ पश्चिमी देश आगे आएंगे। ऐसे में चीन के साथ पूरे पश्चिमी देश होंगे। यूक्रेन जंग में तो पश्चिमी देशों पीछे से पूरी तरह मदद कर रहे हैं। लेकिन ताइवान को वो खुलेतौर पर मदद करेंगे। अमेरिका साफ कह भी चुका है कि, वो हर हाल में ताइवान के साथ खड़ा है। ऐसे में चीन अगर हमला करता है तो सबसे ज्यादा नुकसान उसी को होगा।