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Pakistan की एक कोर्ट आतंकियों को सजा सुनाती है और एक रिहा करती है- आतंकी Hafiz Saeed को पाक कोर्ट से मिली बड़ी राहत

आतंकियों के आगे झुकती जा रही Imran Khan सरकार

पाकिस्तान एक तरफ तो अपना एक ये चेहरा दिखा रहा है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देता है और आतंकियों के खिलाफ शख्त से शख्त कार्यवाई की दम रखता है लेकिन हकिकत यह है कि पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार आतंकवादियों के आगे नतमस्तक हो गई है। क्योंकि, इन दिनों पाकिस्तान में आतंकवादियों का बोल-बाला बढ़ता जा रहा है। अभी टीएलपी के सारे मांगों को मानते हुए इमरान सरकार ने साद रिजवी को रिहा करने का फैसला किया था और अब मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (JuD) के छह आतंकियों को एक टेरर फाइनेंसिंग के मामले में बरी कर दिया है।

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पाकिस्तान के लाहौर हाईकोर्ट ने शनिवार को एक निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (JuD) के छह आतंकियों को एक टेरर फाइनेंसिंग के मामले में बरी कर दिया है। निचली अदालत ने इन सभी को दोषी साबित किया था। सईद के नेतृत्व वाला जमात-उद-दावा प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का अग्रणी संगठन है, जो 2008 में मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार है, इस हमले में छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे।

लाहौर की आतंकवाद विरोधी अदालत ने इस साल अप्रैल में जमात-उद-दावा के सदस्यों- प्रो. मलिक जफर इकबाल, याह्या मुजाहिद (जेयूडी का प्रवक्ता), नसरुल्ला, समीउल्लाह और उमर बहादुर को नौ साल की जेल की सजा और हाफिज अब्दुल रहमान मक्की (सईद के साले) को छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी। मामले की सुनवाई में ये साबित हो गया था कि सभी लोग टेरर फाइनेंसिंग के लिए जिम्मेदार हैं। ये सभी पैसा इकट्ठा कर रहे थे और प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा को अवैध रूप से वित्तपोषित कर रहे थे। कोर्ट ने टेरर फाइनेंसिंग के जरिए एकत्रित किए धन से बनी संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया था।

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लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि, जिन आतंकियों को पाकिस्तान की ही कोर्ट ने सजा दी थी अब पाकिस्तान की ही कोर्ट इनके जुर्म को नजरअंदाज करते हुए रिहा करने का फैसला कर रही है। कोर्ट के एक अधिकारी का कहना है कि, शनिवार को मुख्य नयायधीश मुहम्मद अमीर भट्टी और न्यायमूर्ति तारिक सलीम शेख की लाहौर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने छह जेयूडी नेताओं के खिलाफ सीटीडी की एफआईआर 18 में ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है, क्योंकि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ताओं के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है।