जब अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव नेंसी पेलोसी को लेकर खबर आई थी कि वो ताइवान यात्रा पर जाएंगी तो इसी के बाद से चीन भड़क उठा था। चीन लगातार धमकियां दे रहा था कि अगर अमेरिका ने ये कदम उठाया तो उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, दूसरे देशों की जमीनों को हड़पने वाले चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वो ले कर रहेगा। ऐसे में अमेरिका ने कहा कि, अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो उसकी रक्षा वो करेगा। इसी के बाद से अमेरिका और चीन आमने सामने हैं। नेंसी पेलोसी की यात्रा को लेकर चीन ने ताइवान के आसपास के क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास तक करना शुरू कर दिया था। चीन ने यह भी धमकी थी कि, अगर पेलोसी ताइवान आई तो उनके भी सैनिक हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे। इन सब धमकियों के बाद दुनियाभर की नजरें पेलोसी पर थी कि वो अब ताइवान जाएंगी या नहीं। लेकिन, नेंसी पेलोसी ने ताइवान में पहुंचकर चीन के घमंड को ऐसा चकनाचुर किया की वो बुरी तरह से बौखला उठा है। पेलोसी ने सिर्फ यात्रा नहीं कि, इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया है कि, चीन ने अगर ताइवान पर हमला कि तो उसके आगे अमेरिका होगा।
पेलोसी ने कहा कि उनकी ताइवान यात्रा एक मज़बूत स्टेटमेंट है कि अमेरिका देश के साथ खड़ा है और चीन किसी भी वर्ल्ड लीडर को आइसलैंड की यात्रा करने से नहीं रोक सकता। पेलोसी का यह बयान उनके ताइवान यात्रा से लौटने के बाद 27 चीनी सैन्य विमानों के ताइवानी क्षेत्र में घुसपैठ की रिपोर्टों के बीच आई है। उन्होंने कहा, यह दुखद है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की आपत्तियों पर ताइवान को ग्लोबल मीटिंग में हिस्से लेने से रोका गया, जिसमें हाल ही में हुई विश्व स्वास्थ्य संगठन की मीटिंग शामिल है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, वो ताइवान को उनके नेताओं को वैश्विक मीटिंग में हिस्सा लेने से रोक सकते हैं लेकिन वे विश्व के नेताओं या किसी को भी ताइवान की यात्रा करने से नहीं रोक सकते ताकि इसके फलते-फूलते लोकतंत्र का सम्मान किया जा सके, इसकी कई सफलताओं को उजागर किया जा सके और निरंतर सहयोग के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि की जा सके।
बता दें कि, पेलोसी के दौरे से बौखलाए चीन ने ताइवान को प्राकृतिक रेत के निर्यात को निलंबित कर दिया है। साथ ही उसने स्व-शासित द्वीप से फल और मछली उत्पादों के आयात को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। चीन ने ताइवान फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेसी और साथ ही वहां के विदेश मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय सहयोग और डेवलपमेंट फंड के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की कसम खाई है।