शी जिनपिंग पीएलए यानी चीन तीनों आर्म्ड फोर्सेस के चीफ हैं। वो चाईनीज मिलिट्री कमीशन के चेयरमेन भी हैं। उनके एक इशारे पर चीन की सेनाएं किसी भी देश पर हमला कर सकती हैं। चाहे वो ताईवान हो या फिर जापान। शी जिनपिंग पर इन दिनों जंग की सनक चढ़ी हुई है। वो ताइवान को हड़पने के लिए कुछ भी कर गुजरने के पर आमादा हैं। शी जिनपिंग के अमले ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइपे विजिट कर अपने वादे को तोड़ दिया है। इसलिए वो अब ताइवान पर भी हमला कर उसे हड़पने के की मिलिट्री एक्शन करने के लिए आजाद है।
दरअसल, शी जिनपिगं की जंगी सनक का कारण यह है कि शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ चीन में आंतरिक असंतोष उफान पर है। जिसकी एक झलक बैंकों के बाहर तैनात टैंक और पैसा मांगने आई भीड़ के तस्वीरों से दुनिया के सामने आ चुकी हैं। मतलब यह है कि शी जिनपिंग की कुर्सी हिल चुकी है। शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार को भीतर से भी चुनौती मिल रही है। मौजूदा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति पद के प्रबल प्रत्याशी हैं और शी जिनपिंग चाहते हैं कि वो जीवनभर चीन की सत्ता पर काबिज रहें।
नैंसी पेलोसी की विजिट के बहाने जंग करने या जंग जैसा माहौल बना कर शी जिनपिंग चीन में नेशनलिज्म की भावना पैदा कर उसका भावनात्मक लाभ उठान की कोशिश कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि शी जिनपिंग इस बार सहानुभूति लहर पर सवार होकर सत्ता में काबिज रहना चाहते हैं।
शी जिनपिंग, ताइवान को चारों ओर से घेर कर अपनी फौजों को लाइव फायर ड्रिल का आदेश देकर अपनी चाल में फंसते नजर आ रहे हैं। शी जिनपिंग फायर पॉवर दिखा कर जताना चाहते हैं कि वो जब चाहें तब ताइवान पर कब्जा कर सकते हैं, लेकिन अमेरिकी जंगी जहाजों और बी2 बॉम्बर की आहट से वो कब्जा करने का दुस्साहस नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि इंडोनेशिया ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ठीक वैसा ही जैसा चीन ने ताइवान के खिलाफ खोला है। इन्डोनेशिया ने मेरिटाइम वॉर ड्रिल शुरू कर दी है। इसी तरह की वॉर ड्रिल वो सभी देश एक-एक कर शुरू होने वाले हैं। चीन ने अगर एक कदम और आगे बढ़ाया तो उसके लिए मुश्किल होगी।
शी जिनपिंग की एक मुसीबत यह भी है कि पूर्वी लद्दाख में इंडिया और अमेरिकी सेनाएं भी ज्वाइंट वॉर ड्रिल करने जा रही हैं। एक साथ इतने मोर्चों पर जवाब देना चीन के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा। हालांकि भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे चीनी सेना ने ताइबान पर कब्जे का रिहर्सल शुरू किया। इस रिहर्सल में अपना मिस्ट्री वैपन भी इस्तेमाल किया। ताइवान के ऊपर 11 मिसाइल और सैकड़ो रॉकेट दागे। दो मिसलाइल जापान तक जा पहुंची। शी जिनपिंग अपनी फौजों की आक्रामकता दिखाकर दुनिया को कब्जे में करने का दम्भ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर अमेरिका ने अपना जंगी बेड़ा ताइवान के नजदीक लाकर खड़ा दिया है। ताकि चीन वॉर ड्रिल की आड़ में ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश करे तो उसे पहले अमेरिकी फायर पॉवर से जूझना होगा।
चीन के सामने एक समस्या यह भी है कि अगर वो ताइवान पर कब्जे की कोशिश करता है तो चीन के लिए मलक्का स्ट्रेट बन कर दिया जाएगा। जिससे चीन का 80 फीसदी से ज्यादा व्यवसाय ठप हो जाएगा। अगर चीनी शिपमेंट्स के लिए मलक्का स्ट्रेट एक हफ्ते के लिए भी बंद हो गया तो चीन को सैकड़ों अरब डॉलर की चपत लग जाएगी। आर्थिक रूप से चीन को बहुत बड़ा झटका लगेगा। चीन के बैंक वैसे भी इस समय वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं। बैंकों से पैसा लेने आए लोगों को टैंकों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में चीन कोई भी नया आर्थिक संकट झेलने की स्थिति में नहीं है।
फेस सेविंग के शी जिनपिंग ताइवान के चारों ओर खूब आग बरसाएंगे उसे यह भी दिखाने की कोशिश करेंगे कि वो ताइवान को हड़पने जा ही रहे हैं। फिर कहीं से अचानक कूटनीतिक पहल होगी और ताइवान पर कुछ प्रतिबंध लगाकर पीएलए की फौजें वापस बैरकों में चली जाएंगी। हालांकि, यह सब डिफेंस विशेषज्ञों का आंकलन है। वास्तव में क्या होने वाला है यह को आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा।