China New Road Yangtse Plateau Tawang: चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में जबरन घुस आया था जिसके बाद भारतीय सैनिकों से झड़प में उसे मुंह की खानी पड़ी और भारतीय जवानों ने उसे बाहर खदेड़ दिया। अब इस झड़प को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है कि, चीन पहले से ही पूरी तैयारी कर चुका था। ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर खुलासा किया है कि तवांग जिले के यांगत्से पठारी इलाके में भारत ने चीन के ऊपर अपनी रणनीतिक बढ़त बनाई हुई है। यही वजह है कि इस रणनीतिक रूप से बेहद अहम इलाके में भारतीय सेना को मात देने के लिए पिछले 1 साल में चीन ने नए सैन्य और ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर (China New Road Yangtse Plateau Tawang) बना लिए हैं जिससे वह बहुत तेजी से अपने सैनिकों को अब इस इलाके में जब चाहे भेज सकता है। चीन की सड़क एलएसी से मात्र 150 मीटर तक पहुंच गई है। नई रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने डोकलाम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक इतने बड़े पैमाने पर सैन्य तैयारी (China New Road Yangtse Plateau Tawang) की है जिससे दोनों देशों के बीच कभी भी संघर्ष छिड़ सकता है। ये चीन जानबूझकर भी कर सकता है।
चीन जाबूझकर उलझ रहा
दरअसल, आस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने डोकलाम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक इतने बड़े पैमाने पर सैन्य तैयारी की है जिससे दोनों देशों के बीच कभी भी संघर्ष छिड़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, तवांग रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। चीन भूटान की सीमा में जो भी घुसपैठ कर रहा है, उसे भारत आसानी से तवांग से निगरानी कर सकता है। यांगत्से पठार रणनीतिक रूप से दोनों ही देशों के लिए अहम है। यह समुद्र से 5700 मीटर की ऊंचाई पर है। इससे पूरे इलाके पर नजर रखना आसान है। इस पर भारत का कब्जा है जिससे वह सेला दर्रे को चीन से बचाए रखने में सक्षम है। सेला दर्रा ही तवांग को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है।
On Dec 9th, 200-600 Chinese troops surged up a newly constructed road from Tangwu New Village to the LAC, where they clashed with Indian border outposts at two places. @Planet satellite imagery from Dec 14th shows the foot-tracks leading to the LAC (orange highlight). pic.twitter.com/tHWSJ2SnCW
— Nathan Ruser (@Nrg8000) December 20, 2022
चीन बड़े पैमाने पर कर रहा तैयारी
सेला दर्रा के पास भारत एक सुरंग बना रहा है जो साल 2023 में तैयार हो जाएगी। इसके बाद भी यांगत्से पठार से तवांग जाने वाले हर वाहन की निगरानी हो सकेगी। भारतीय सेना यहां ऊंचाई वाले इलाके में जरूर मौजूद है लेकिन जंग के समय में उसकी सप्लाइ लाइन को आसानी से काटा जा सकता है। यहां बनी सड़ भी टूट रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, चीन यांगत्से पठार में निचले इलाके में जरूर है लेकिन, उशने भारत की तुलना में बहुत ज्यादा बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे पर निवेश किया है। पिछले साल चीन ने नई सड़क बनाई है। चीन ने कई सड़कों की मरम्मत करने के साथ ही उन्हें अपने नए बसाए हुए गांव से जोड़ दिया है। यह चीनी गांव एलएसी से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर हैय़ यहां तक चीन ने हर मौसम में काम करने वाली सड़क बना ली है। इसके साथ ही चीनी सेना ने एलएसी के पास ही कैंप भी बना ली है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई रोड की मदद से चीनी सैनिक 9 दिसंबर को भारतीय सीमा चौकी पर कब्जा करने के लिए पहुंचे थे।