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राजनीति के कारण टूटा Pakistan, जाते-जाते Bajwa का झलका दर्द, बोले- भारत से हम नहीं जीत पाये

Pakistan Politics

Pakistan Army Politics: पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (General Qamar Javed Bajwa) ने रिटायरमेंट से पहले अपनी आखिरी पब्लिक स्पीच दी है। इस स्पीच में उन्होंने जहां बिना नाम लिये पाकिस्तान की राजनीति को खूब कोसा तो वहीं, उनके अंदर भारत का दिया दर्द भी नजर आया। बाजवा भी अब उन पाकिस्तानियों में शामिल (Pakistan Army Politics) हो गये हैं जो जमकर भारत के खिलाफ झूठ बोलते हैं। 1971 जंग में भारत ने जो पाकिस्तान को दर्द दिया वो बाजवा के अंदर अब भी मौजूद है। बाजवा ने अपनी इस स्पीच के दौरान कहा कि, 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौजियों की संख्या 92 हजार नहीं बल्कि 34 हजार थी बाकी लोग अलग-अलग सरकारी विभागों से थे। भारतीय सेना के ढाई लाख सैनिकों से पाकिस्तानी सैनिक बहादुरी से लड़े। बाजवा की ये गलतफहमी है, इतिहास देख लें, जब-जब पाकिस्तान से जंग हुई है भारत जीता है। बाजवा (Pakistan Army Politics) ने इस दौरान कहा कि, राजनीति में बुरी तरह फंसा हुआ है पाकिस्तान।

पाकिस्तान को राजनीति ने तोड़ा
बाजवा ने इस दौरान पाकिस्तानी सेना की आलोचना किये बिना ही इमरान खान पर भी निशाना साधा। बाजवा ने कहा कि राजनीति से जुड़े लोगों को सेना को इंपोर्टेड या सिलेक्टेड नहीं बुलाना चाहिए और देश के लिए आगे बढ़ना चाहिए। सेना प्रमुख ने यह बयान शहीद दिवस के मौके पर दिया। पाकिस्तान में हर साल 6 सितंबर को शहीद दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस साल पाकिस्तान में बाढ़ के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। इस दौरान अपनी स्पीच में उन्होंने भारतीय सेना पर आरोप मढ़ने का मौका नहीं छोड़ा।

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पाकिस्तानी सैनिकों की इज्जत नहीं करती जनता
बाजवा ने कहा, ‘भारतीय सेना की उनके लोग आलोचना नहीं करते। पाकिस्तान की सेना दिन-रात देश की सेवा में लगी रहती है और उसे आलोचना का शिकार होना पड़ता है। इसकी बड़ी वजह ये हो सकती है कि पिछले 70 साल से सेना का राजनीति में दखल रहा है जो असंवैधानिक है। इसीलिए फरवरी में सेना ने काफी विचार विमर्श के बाद फैसला लिया है कि वह किसी भी राजनीतिक मामले में दखल नहीं देगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम इसका सख्ती से पालन करेंगे। बाजवा ने कहा कि सेना के फैसला का स्वागत करने की बजाय कई लोगों ने अनुचित और अशोभनीय भाषा के साथ फौज की कड़ी आलोचना करना शुरू कर दिया। सेना की आलोचना करना राजनीतिक दलों का हक है, लेकिन जो भाषा इस्तेमाल की गई उसे लेकर सतर्क रहना चाहिए। इसके आगे बाजवा बोले कि, समय आ गया है कि राजनीति से जुड़े लोग अहंकार छोड़ कर आगे बढ़ें। देश गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और कोई भी पार्टी इसे बाहर नहीं निकाल सकती।

राजनीति में उलझा हुआ है पाकिस्तान
इस आखिरी स्पीच में अपने दर्द को बाहर निकालते हुए बाजवा ने कहा कि, पाकिस्तान सेना के कारण नहीं बल्कि राजनीतिक असफलता के कारण टूटा है। बाजवा ने अपनी स्पीच में सेना को बहादुर दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौजियों की संख्या 92 हजार नहीं बल्कि 34 हजार थी बाकी लोग अलग-अलग सरकारी विभागों से थे। भारतीय सेना के ढाई लाख सैनिकों से पाकिस्तानी सैनिक बहादुरी से लड़े। बाजवा पाकिस्तान के सैनिकों को कितनी भी बार बहादुर बता दें लेकिन, ये पाकिस्तान सारी जंगें हारा है। बाजवा के ही कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान पर भारत स्ट्राक कर चुका है लेकिन, वो भी ताकते ही रह गये।