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Pakistan की कंगाली का पर्दा फाश! सेना दीमक से कम नहीं है! मुल्क को कर डाला खोखला

पाकिस्तान की सेना अपने में मस्त

पाकिस्तान (Pakistan) में भले ही आज के समय में दो वक्त की रोटी खाने के लाले पढ़े हो लेकिन उसकी सेना ऐसी है जो हमेशा मौज में रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान को बर्बाद करने में सेना का हाथ कम नहीं है। पाकिस्तान के पूर्व जनरल कमर जावेद बाजवा जब 2009 से 2013 के बीच सिर्फ मेजर जनरल रैंक के अधिकारी थे, तब उनके दोनों बेटे एक चार्टर्ड विमान में बैठ कर लंदन जाते थे।

दोनों बच्चे तब दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और महंगी यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। उनके साथ ही पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी का बेटा पढ़ता था। हालांकि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अन्य एशियाई छात्रों से उन्हें कई चीजें अलग करती थीं। जैसे उन्होंने पढ़ाई के लिए बाकी छात्रों की तरह कोई लोन नहीं लिया। उनके पास बाकी छात्रों की अपेक्षा ढेर सारा पैसा था और उनका जीवन स्तर स्पष्ट रूप से बेहतर था। इन लोगों का जीवन उस समय भी अच्छा था, जब पूरी दुनिया 2007-09 के बीच आर्थिक मंदी को झेल रही थी। तब पाकिस्तान की जीडीपी 2007 में 6.8 से गिर कर 2009 में 1.9 हो गई थी। मुद्रास्फीति 7.8 से बढ़ कर 20.8 हो गई थी, जिसके कारण देश की एक बड़ी आबादी को खाने के लाले थे।

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35 लाख रुपए थी फीस

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड और कार्यरत सैन्य अधिकारियों के बच्चे बड़ी संख्या में ब्रिटेन में पढ़ते थे। एक विदेशी छात्र के लिए 2010 में ब्रिटेन में पढ़ने की फीस 25000 से 28000 पाउंड थी। उस दौरान एक पाउंड 140 रुपए का था। इस हिसाब से जोड़ें तो करीब 35 लाख रुपए का खर्च पढ़ाई पर आता था। उस समय पाकिस्तान में दो सितारा जनरल की औसतन सैलरी 1.5 लाख रुपए भी नहीं थी।

इतना पैसा कहां से आता है

दरअसल सेना के अधिकारी सरकारी ठेकों को दिला कर अपना पैसा बनाते हैं। पाकिस्तान में घरेलू स्तर के बिजनेसमैन सरकारी कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए सेना से मदद मांगते हैं। बदले में वह उनके और उनके परिवार का वर्तमान और भविष्य में ख्याल रखते हैं। यही बिजनेसमैन सेना के अधिकारियों के बच्चों का एडमिशन इन यूनिवर्सिटियों में कराते हैं। डिग्री मिलने के बाद वह दुबई और लंदन में स्थित कंपनियों में भारी-भरकम सैलरी वाली नौकरियां दिलाते हैं। इसके अलावा चल और अचल संपत्ति भी देते हैं।