लगातार तेज बारिश की वजह से पाकिस्तान (Pakistan) का आधा से ज्यादा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। इस में बाढ़ के हालात ने कई जिंदगियां तबाह कर दीं। भारी मानसूनी बारिश और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पाकिस्तान इस साल जबरदस्त बाढ़ आई, जिसके चलते 1700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। आलम यह है कि यहां शवों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जमीन तक नसीब नहीं हो रही। क्योंकि बाढ़ के कारण कब्रिस्तान भी टापू बन गए हैं। शवों को दफनाने के लिए पानी को हटाकर जमीन की तलाश की जा रही है। इस बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में बाढ़ से हालात कितने खराब हो हैं।
पड़ोसी मुल्क में बाढ़ के कारण लोग अपनों के शवों को नहीं दफना पा रहे। पाकिस्तान के एक नागरिक अली अकबर बिलख-बिलखकर इस बात पर रोने लगे कि उन्हें अपनी मां को दफनाने के लिए कब्रिस्तान में दो गज जमीन भी नसीब नहीं हो रही। अपने गांव के कब्रिस्तान में अकबर बाढ़ के पानी के बीच कुछ सूखी जमीन की तलाश कर रहे हैं, ताकि वह अपनी मां को दफना सके, लेकिन लाख प्रयासों के बावजूद ऐसा नहीं हो पा रहा।
मुर्दों को कहां दफनाएं?
सूखी जमीन नहीं… मुर्दों को कहां दफनाएं? इस सवाल ने कई परिवारों को गहन पीड़ा में डाल दिया है। जब से पाकिस्तान के अधिकांश हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ बाढ़ आई है, लाखों लोग पलायन करने पर मजबूर हुए हैं। कई गांव इस समय जलमग्न है। स्कूल, सड़कें और अस्पताल जैसे जरूरी बुनियादी ढांचे भी तबाही का मंजर देख रहे हैं। चार महीने के जलप्रलय में लगभग 1700 लोग मारे गए हैं। इनमें से कई बाढ़ के पानी में डूब के मरे हैं।
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मौत की दूसरी लहर की चेतावनी
मुसीबतों का दौर यहीं खत्म नहीं होता, हाल ही में मानवीय अधिकारियों ने ‘मौत की दूसरी लहर’ की चेतावनी दी है। अधिकारियों ने बताया है कि बाढ़ से प्रभावित 3.3 करोड़ लोगों के मलेरिया, डेंगू, बुखार, दस्त और त्वचा रोगों से जूझने की संभावना है। मतलब एक तरफ बाढ़ और दूसरी तरफ बीमारियों का सैलाब।