क्या आपको पता है भारत से पहले Pakistan ने लॉन्च किया था पहला रॉकेट? Pakistan ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को शुरु करने के लिए अमेरिका से मदद ली थी। पाकिस्तान ने भारत से पहले अपना स्पेस एजेंसी SUPARCO बनाया तब जाकर भारत ने अपना अंतरिक्ष मिशन बनाया जिसका नाम INCOSPAR दिया गया। भारत उतरोत्तर इस दिशा में कई कामयाबी हासिल की, और आज भारत चाँद पर पहुंच गया लेकिन पाकिस्तान अपनी करनी के कारण लगातार फिसलता गया।
हिन्दुस्तान के चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरी दुनिया अपनी धमक के साथ तहलका मचा दिया है। Pakistan में भी चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर खूब चर्चा हो रही है। बड़ी संख्या में पाकिस्तानी भारत की इस सफलता पर बधाई दे रहे हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं, जो चंद्रयान-3 को लेकर पाकिस्तानी अंतरिक्ष एजेंसी SUPARCO पर निशाना साध रहे हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी SUPARCO ने भारत के इसरो से पहले अंतरिक्ष में अपना रॉकेट लॉन्च कर दिया था।
अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर भारत ने किया उतरोत्तर विकास
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) ने अपनी लगातार और ईमानदार प्रयास के बदौलत धीरे-धीरे तरक्की के पायदान उतरोत्तर चढ़ते हुए आज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष एजेंसियों में शुमार कर लिया है। आलम ये है कि आज पूरी दुनिया भारत के रॉकेट से अपने सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए लाइन लगाकर खड़ी है। जबकि, पाकिस्तान(Pakistan) आज भी अपनी मुफलिसी और गरीबी के राग दुनिया के सामने अलाप रहा है।
ऐसा नहीं कि पाकिस्तान ने खुद के बदौलत अंतिरक्ष में अपना कदम रखा था,बल्कि इसके पीछे अमेरिकी मदद थी। साल 1960 के दशक में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा कि अमेरिका चन्द्रमा पर इंसान भेजेगा,लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी समस्या हिन्दमहासागर के ऊपर वायुमंडल के डेटा इकठ्ठा करने की आ गई। इसके लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को चुना,क्योंकि जिन्ना का पाकिस्तान उस समय अमेरिका की गोद में बैठा हुआ था,जबकि भारत का रुस के साथ दोस्ताना संबंध था।कैनेडी के इस ऐलान से पाकिस्तान का किस्मत जैसे जाग उठा।
अमेरिका के साथ 1961 में अंतरिक्ष को लेकर हुई डील
साल 1961 में पाकिस्तान के तानाशाह जनरल अयूब खान अमेरिका दौरे पर गए और उनके साथ पाकिस्तान का वरिष्ठ वैज्ञानिक अब्दुल सलाम भी थे। अमेरिका ने इस दौरे में पाकिस्तान के सामने हिंदमहासागर के ऊपर वायुमंड के डेटा कलेक्शन की बात कही। बस क्या था पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने शर्त रख दी की वह अपनी रॉकेट टेक्नोलॉजी पाकिस्तान को दे,अमेरिका तैयार हो गया और कहा कि उससे जो डेटा मिलेगा वो NASA के साथ साझा करेगा। दोनों देश इसके लिए राजी हो गए।
अमेरिकी मदद से पाकिस्तान ने लॉन्च किया पहला रॉकेट
अमेरिका दौरे के दौरान पाकिस्तान ने नासा की इस पेशकश को स्वीकार कर लिया और अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल हो गया। अमेरिका के सहयोग से पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी SUPARCO ने 9 महीने के अंदर अपना पहला रॉकेट तैयार कर लिया और उसे लॉन्च भी कर दिया। पाकिस्तान का पहला रॉकेट रहबर-ए-अव्वल 7 जून 1962 को बलूचिस्तान के सोनमियानी से रात आठ बजे लॉन्च किया गया था। इसके साथ ही पाकिस्तान दक्षिण एशिया में रॉकेट लॉन्च करने वाला पहला देश बन गया। ठीक इसके एक साल बाद भारत ने अपना पहला रॉकेट बनाया था।
कैसे पाकिस्तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम फेल हुआ?
शुरुआत में अमेरिकी मदद से तो पाकिस्तान अंतरिक्ष की दुनिया में महाशक्ति बनने का सपना देखता रहा,लेकिन वो बहुत जल्द ही समझ गया कि खुद की कोशिश के बिना ये दिवास्वप्न के समान होगा। वहीं, पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति ठीक नहीं थी,जिससे वो अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सके। पाकिस्ता में सत्ता को लेकर आए दिन तख्तापलट होते रहता था।
पाकिस्तान सैन्य शक्ति बढ़ाने के कारण टेक्नोलॉजी पर ध्यान कम दिया
भारत के साथ पाकिस्तान दोनों देश एक साथ आजाद हुआ। भारत जहां अपना पूरा ध्यान देश की तरक्की पर लगाया वहीं, पाकिस्तान अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने की दिशा में काम किया। पाकिस्तान का अपनी सैन्य शक्ति पर जमकर खर्च किया,और इस कारण पाकिस्तान अंतरिक्ष कार्यक्रमों से दूरी बनाता गया। आज हालत ये है कि पाकिस्तान खुद के दम पर एक सैटेलाइट तक लॉन्च नहीं कर सकता।
यह भी पढें-Chandrayaan 3 की कामयाबी पर पाकिस्तानियों का छलका दर्द, कहा -‘हम भारत से…’