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Bilawal के भारत आने के पीछे बहुत बढ़ी साज़िश रच रहा है पाकिस्तान, SCO में शामिल होना पाक की मज़बूरी या चाल?

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावाल भुट्टो (Bilawal Bhutto)।

भारत में SCO मीटिंग में शामिल होने आ रहे हैं पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावाल भुट्टो (Bilawal Bhutto)। इस खबर के बाद से हर तरफ हलचल नज़र आ रही हैं। पाकिस्तान में इसे लेकर आर्मी और नेताओं के बीच दो फाड़ हो गए हैं। बिलावल (Bilawal Bhutto) के भारत आने पर सब अलग अलग क़यास लगा रहे हैं। सबकी नज़र बस इस यात्रा पर टिकी हुई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे के बाद ये सवाल उठ रहे हैं क्या भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के रास्ते दोबारा खुलेंगे। हालांकि इसकी संभावना ना के बराबर है। फरवरी 2019 में पुलवामा हमला हुआ था। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी खराब हो गए है। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) जो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो कभी कश्‍मीर  पर विवादित बयान देने के आदी रहे हैं, चार और पांच मई को भारत में हैं।

SCO में शामिल होना पाक की मज़बूरी या चाल?

बिलावल (Bilawal Bhutto) साल 2011 के बाद से भारत आने वाले पाकिस्‍तान के पहले विदेश मंत्री हैं। विल्‍सन सेंटर में दक्षिण एशिया इंस्‍टीट्यूट के डायरेक्‍टर माइकल कुगलमैन ने फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में लिखा है कि पाकिस्‍तान की सरकार बिलावल (Bilawal Bhutto) की भारत यात्रा को एसीसीओ के साथ संपर्क मजबूत करने और विदेश नीति को आग बढ़ाने वाले अवसर के तौर पर ही देख रही है न कि भारत के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश के तहत। पाकिस्‍तान के लिए एससीओ के काफी फायदे हैं, मजबूरियां हैं या यूँ कहे कि चाल है। चीन जहां हमेशा से पाकिस्‍तान का करीबी सहयोगी और परममित्र रहा है तो वहीं रूस के साथ भी उसके रिश्‍ते अब आगे बढ़ रहे हैं। एससीओ की आधी सदस्यता मध्य एशिया के देशों के पास है। यह वह क्षेत्र है जहां पाकिस्तान हमेशा से व्यापार और संपर्क बढ़ाने के लिए आपसी जुड़ाव को गहरा करने की उम्मीद करता आया है।

क्या है चाल?

कुछ बहुपक्षीय संगठनों में जिनमें भारत और पाकिस्तान दोनों शामिल हैं, वहां वह नुकसान में है क्योंकि भारत इसमें सबसे शक्तिशाली सदस्य है जैसे कि सार्क। लेकिन एससीओ में भारत का दबदबा उसके रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी चीन की उपस्थिति के आगे कमजोर पड़ जाता है। यूक्रेन की जंग ने रूस को चीन के करीब ला दिया है। इसका मतलब यही है कि एससीओ के अंदर रूस का प्रभाव कम हो सकता है और चीन इसमें मजबूत सदस्‍य बन सकता है।

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पाकिस्तान की तरह, भारत भी संसाधनों से अमीर मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और सहयोग को बढ़ाने की उम्‍मीद करता है। मध्‍य एशिया अब भारत पाकिस्‍तान के बीच जंग का नया अखाड़ा बन चुका है। भारत के पास मध्य एशिया के प्रमुख देश अफगानिस्तान में दाखिल होने के लिए डायरेक्‍ट एंट्री नहीं है। लेकिन इसने क्षेत्र में सरकारों के साथ बातचीत करके नया सिस्‍टम बनाकर इस कमी को पूरा किया गया। गोवा में पाकिस्तान की मौजूदगी का मकसद यह इशारा हो सकता है कि वह मध्य एशिया भारत को और हावी होने नहीं देगा। पाकिस्तान भी बिलावल की यात्रा को द्विपक्षीय दृष्टिकोण से नहीं देख रहा है।