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पाकिस्तान को झटके पे झटका, खुद के खोदे हुए गड्ढे में गिरा- ADB को देना पड़ा अरबों रुपए का जुर्माना

पाकिस्तान को झटके पे झटका

पाकिस्तान के इमरान खान सरकार को इन दिनों झटके पे झटका लग रहा है। देश की अर्थव्यवस्था वैसे ही चर्मराई हुई है, महंगाई ने लोगों की नाकों में दम कर रखा है। साथ ही देश में हो रहे प्रदर्शन के चलते इमरान सकरार अब तब बनी हुई है। इस बीच इमरान खान को एक और बड़ा झटका लगा है। ये झटका ADB (एशियन डेवलपमेंट बैंक) ने दिया है अरबों रुपए का जुर्माना लगाकर।

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हाल ही पाकिस्तान FATF ने बड़ा झटका देते हुए ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा जिसके बाद देश आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है इस बीच  ADB (एशियन डेवलपमेंट बैंक) ने अरबों रुपए का जुर्माना लगाया है उससे इमरान सरकार की टेंशन और बढ़ा दी है। अपनी 'खराब शासन व्यवस्था' के कारण पाकिस्तान ने पिछले 15 सालों में लगभग 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी 7.45 अरब रुपए के जुर्माने का भुगतान किया है। असल में एशियन डेवलपमेंट बैंक ने पाकिस्तान को जिन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए फंड दिए थे, उन्हें पूरा करने में पाकिस्तान ने नाकामी दिखाई है। जिसके चलते पाक को बड़ा जुर्माना भरना पड़ा। पाकिस्तान को पिछले 15 सालों में कुछ परियोजनाओं को लागू करना था लेकिन वह ऐसा करने में नाकाम रहा।

खबरों की माने तो, साल 2006 से देश की विभिन्न सरकारों ने अब तक लगभग 10 करोड़ अमेरिकी टॉलर के जुर्माने का भुगतान किया है। जिन प्रोजेक्ट को समय सीमा के भीतर पूरा नहीं किया गया, उन पर एडीबी ने 0.15 फिसदी प्रतिबद्धता शुल्क जुर्माना लिया है। पाकिस्तान में खराब शासन व्यवस्था का हवाला देते हुए द न्यूज की रिपोर्ट ने कहा है कि, एडीबी ने जमशोरो पावर प्रोजेक्ट के लिए साल 2014 में कोयला अग्रि प्रौद्योगिकी के जरिए 660MW बिजली उत्पादन के लिए 90 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिए थे, जिसे 2019 में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन यह प्रोजेक्ट उस समय तक पूरा नहीं हो पाया। इसके आगे बताया गया है कि, एडीबी ने 50 प्रतिशत से भी कम राशि लगभग 313 मिलियन डॉलर का वितरण किया है, इसलिए अब पाकिस्तान प्रतिबद्धता शुल्क के रूप में दंड का भुगतान करने के लिए मजबूर है।

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इसके साथ ही एक अन्य स्मार्ट मीटरिंग प्रजेक्ट के लिए भी एडीबी ने ही फंड किया था, इसे 2015 से 2016 में मंजूरी दी गई थी लेकिन अप्रूवल के 5 साल बात तक भी ये पूरे नहीं हो सके। साल 2006 से जून 2021 तक पाकिस्तान प्रतिबद्धता शुल्क के रूप में कुल 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना दे चुका है।