पाकिस्तान ने जिस तालिबान की मदद की अब वहीं उसके खून का प्यासा हो गया है। शुरुआत में दोनों के बीच जितनी गहरी दोस्ती देखने को मिल रही थी वहीं, अब दोनों के बीच दुश्मनी भी गहराते जा रही है। आने वाले दोनों देशों में हालात बेहद खराब होते देखा जा सकता है। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार अफगानिस्तान में अपने फायदे का सोच रही थी लेकिन तालिबान पहले से ही सचेत था और उसे सही मौके की तलाश थी। अब तालिबान उन सारे चीजें के खिलाफ जा रहा है जिसे पाकिस्तान अफगानिस्तान में अमल करना चाहता है।
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दरअसल, ड्यूरंड रेखा को लेकर है दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। तालिबान सरकार ने साफ लहजे में कहा है कि वह ड्यूरंड रेखा पर पाकिस्तान को किसी भी तरह की बाड़बंदी की अनुमति नहीं देगा। इसके साथ ही पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी दी है। तालिबान कमांडर मौलवी सनाउल्ला संगीन ने अफगानिस्तान के टोलो न्यूज से कहा है कि, हम (तालिबान) कभी, किसी भी तरीके की बाड़बंदी की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने (पाकिस्तान) पहले जो भी किया, वो कर लिया। अब हम आगे इसकी इजाजत नहीं देंगे। अब कोई बाड़बंदी नहीं होगी। संगीन का यह बयान तब आया है, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि मामले को कुटनीतिक माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से हल कर लिया जाएगा।
कुरैशी ने अपने एक बयान में कहा था कि, कुछ उपद्रवी तत्व इस मुद्दे को बिना वजह उछाल रहे हैं, लेकिन हम इस पर गौर कर रहे हैं। हम अफगानिस्तान सरकार के साथ संपर्क में हैं। उम्मीद है कि हम कूटनीतिक तरीके से इस मुद्दे को सुलझा लेंगे। दरअसल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,670 किलोमीटर लंबी अंतरराष्टीय ड्यूरंड रेखा है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस स्थान पर लंबं समय से तनाव चल रहा है। पाकिस्तान ने काबुल की आपत्तियों के बावजूद इस सीमा पर बाड़बंदी का 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। अफगानिस्तान का कहना है कि अंग्रेजों के शासन काल की इस सीमाबंदी ने दोनों ओर के कई परिवारों को बांट दिया है। जबकि पाकिस्तान इसपर जोर शोर से काम कर रहा है।