जब भारत से पाकिस्तान अलग मुल्क बना तो किसी को पता नहीं था कि, ये पाकिस्तान एक दिन भारत के ही खिलाफ चला जाएगा। भारत को नीचा दिखाने के लिए पाकिस्तान कोई भी मौका नहीं छोड़ता लेकिन, इसके बाद भी इनकी हार ही होती है। भारत में आतंक फैलाने में भी पाकिस्तान का ही हाथ रहा है। खास कर जम्मू-कश्मीर में पहले जो हालात थे उसमें पूरी तरह से पाकिस्तान लिप्त था। भारत ने कई मौकों पर पाकिस्तान के साथ रिश्ते सही करने की कोशिश की। भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बार पाकिस्तान के साथ रिश्तें सुधारने की कोशिश की लेकिन, हर बार पाकिस्तान के धोखा दिया। वहीं, जब नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार आई तो वो भी पाकिस्तान के साथ रिश्तों को नए मोड़ पर लाने की कोशिश की लेकिन, बदले में उरी अटैक और पुलवामा मिला। इसके बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि, अब तुम्हें तुम्हारे ही भाषा में समझाएंगे। इसी कड़ी में अब एक बार फिर पीएम मोदी ने जापान में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन से पहले चीन और पाकिस्तान को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। अब रिश्ते बेहतर करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। उन्होंने कहा कि चीन से बेहतर रिश्तों के लिए सीमा पर शांति जरूरी है। पीएम मोदी का चीन और पाकिस्तान को लेकर दो टूक बयान भारत की बदलती विदेश नीति को दर्शाता है। जापान के हिरोशिमा पहुंचे पीएम मोदी युद्ध की विभीषिता झेल रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से भी मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वे कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे।
PM Modi पाकिस्तान और चीन पर क्या बोले
पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है। चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन जरूरी है। भारत-चीन संबंधों का भविष्य का विकास केवल आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित हो सकता है। उन्होंने कहा कि संबंधों को सामान्य करने से व्यापक क्षेत्र और दुनिया को लाभ होगा।
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पीएम मोदी ने पाकिस्तान को लेकर कहा कि आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एक अनुकूल वातावरण बनाना पाकिस्तान के लिए आवश्यक है। इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। ग्लोबल साउथ एशिया, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका के विकासशील देशों का एक अनौपचारिक समूह है। भारत इस समूह का सबसे ताकतवर देश है। उन्होंने कहा कि वे ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में वैश्विक परिवर्तनों और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं इन चुनौतियों से निपटने में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की भूमिका पर जोर दूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का अनुभव जी-7 की बैठक में मजबूती से प्रतिध्वनित होगा। भारत जी-7 का सदस्य नहीं है, इसके बावजूद जी-7 के मेजबान और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत को आमंत्रित किया है।