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आफत में फंसी पीएम शरीफ की जान, महंगाई से निपटने के लिए कर दिया यह बड़ा ऐलान

PM Shehbaz Sharif

पाकिस्तान दाने-दाने का मोहताज है। उसकी हालत श्रीलंका से भी बद्तर बनी हुई है। जिस तरह श्रीलंका में मंहगाई लोगों की कमर तोड़ रही है, उसी तरह पाकिस्तान के लोगों का जीवन पर मंहगाई का बुरा असर पड़ रहा है। श्रीलंका में मंहगाई के चलते सत्ता हिल गई थी। ठीक ऐसी ही स्थिति पाकिस्तान में नजर आ रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इस्तीफा दे देंगे।

महंगाई की मार और विनाशकारी बाढ़ ने पाकिस्तान को और भी बेबस कर दिया। बाढ़ आपदा को लेकर कई देश मदद के लिए आगे आए, लेकिन महंगाई का मुद्दा जस का तस बना रहा। ऐसा लगता है कि जैसे महंगाई पर काबू पाना पाकिस्तान की शहबाज सरकार के बस के बाहर की बात है। ऐसे में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बड़ा कदम उठाते हुए सरकारी खर्च में जबरदस्त कटौती का ऐलान किया है।

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शहबाज शरीफ ने कहा है कि मैं और मेरे कैबिनेट के बाकी मंत्री सैलरी नहीं लेंगे। तमाम केंद्रीय मंत्री बिजली, पानी, गैस और टेलिफोन के बिल भी अपनी जेब से भरेंगे। पीएम शरीफ ने बताया कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर के कर्ज की तीसरी किश्त देने के लिए सख्त शर्तें रखी हैं, चूंकि हमारे पास कोई और चारा नहीं है, इसलिए हम उनकी शर्तें मानने के लिए मजबूर है।

दरअसल, पाकिस्तान का विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है, जो 100 अरब डॉलर हो चुका है और महंगाई दर 40% के करीब पहुंच गई है। तमाम कोशिशों के बावजूद इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए राजी नहीं हो रहा है, लेकिन इस मुसीबत में चीन पाकिस्तान का बड़ा सहारा बनकर सामने आया है। चीन ने पाकिस्तान को 700 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया है, जिससे देश फिलहाल दिवालिया होने से बच गया है। लेकिन, कब तक पाकिस्तान इस संकट को झेलेगा।

पाकिस्तान स्थिति को सुधारने के लिए तीन विकल्पों पर चर्चा कर रहा है। पहला नेशनल गवर्नमेंट, दूसरा टेक्नोक्रेट गवर्नमेंट और तीसरा मार्शल लॉ। पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने इन तीनों विकल्पों की बात की है, लेकिन ये विकल्प कितने कारगर साबित हो सकते हैं, इस पर अभी कुछ नहीं कहा नहीं जा सकता है।