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विभाजन से पहले कैसा था Rishi Sunak के पूर्वजों का शहर गुजरांवाला,पढ़िए ये रिपोर्ट

साल 1935 में गुजरांवाला से केन्या गए थे ऋषि सुनक के दादा

ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभाल ली है। ब्रिटेन के इतिहास में पहली बार कोई एशियाई मूल का व्यक्ति प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर बैठा है। लिहाज़ा उनके पेशेवर बैकग्राउंड के साथ उनकी विरासत पर भी जमकर चर्चा हो रही है। ऋषि सुनक कई मायने में पहले शख़्स हैं। मसलन वो पहले ब्रिटिश एशियाई (British Asian) हैं जो प्रधानमंत्री बने हैं। साथ ही वो पहले हिंदू हैं जो इस पद पर पहुंचे हैं। उनके दादा-दादी पंजाब के गुजरांवाला जिले में पैदा हुए थे, जो विभाजन से पहले भारत में था लेकिन वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है। सुनक के परिवार को साल 1930 के दशक में रोजगार के लिए केन्या पलायन करना पड़ा।

हिंदू-पंजाबी परिवार में पैदा हुए सुनक कह चुके हैं कि ब्रिटेन मेरा घर है, मेरा देश है और मैं पूरी तरह ब्रिटिश हूं लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है। सुनक अंग्रेजी, हिंदी और पंजाबी भाषा बोल लेते हैं। आज आपको बताएंगे कि विभाजन से पहले गुजरांवाला शहर कैसा था, वह जगह जहां से ऋषि सुनक की जड़ें जुड़ी हुई हैं।

खलीज टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरांवाला में हिंदू-खत्री सुनक परिवार लंबे समय से रहता था। ऋषि सुनके के दादा रामदास सुनक 1935 में ब्रिटिश सरकार में क्लर्क के काम के लिए गुजरांवाला छोड़कर केन्या की राजधानी नैरोबी चले गए। उस समय नैरोबी में भारत के गिरमिटिया मजदूर चीनी, कपास और चाय के बागानों और रेल निर्माण परियोजनाओं पर काम करते थे। दूसरी तरफ उनकी पत्नी सुहाग रानी सुनक 1937 में केन्या जाने से पहले अपनी सास के साथ गुजरांवाला से दिल्ली गईं।

1935 में कुछ ऐसा था गुजरांवाला शहर?

ऋषि सुनक के पिता यशवीर सुनक सहित तीन बेटे और तीन बेटियां। यशवीर सुनक का जन्म 1949 में नैरोबी में हुआ था। जब ऋषि सुनक के दादा नैरोबी गए उस वक्त के ब्रिटिश काल के कुछ दस्तावेजों में गुजरांवाला को एक ऐसा शहर बताया गया था जहां ‘हाल ही बिजली पहुंची थी। एक शहर को जो बहुत उपजाऊ था और उसके आसपास कई फलों के बगीचे थे।

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यही नहीं दस्तावेजों कहते हैं, यहां मुसलमान, सिख और हिंदुओं का वर्चस्व है। गैर-कृषि लोग खत्री, अरोड़ा, कश्मीरी और अन्य हैं। हिंदू और सिख जो कृषक नहीं हैं, वे व्यापार पर निर्भर हैं। अमीर हिंदू और सिख शहरों में रहना पसंद करते हैं। कस्बों की मुस्लिम आबादी में बड़े पैमाने पर कारीगर और अन्य उद्योगों से जुड़े लोग शामिल हैं। ऊंट और गधे परिवहन के मुख्य साधन हैं। हर संपन्न घर में एक ग्रामोफोन मौजूद है। कुछ घरों में ‘रेडियो’ भी है।

पंजाबी भाषा थी सुनक परिवार की

1935 के दस्तावेज कहते हैं, गुजरांवाला में घी मुख्य रूप से पास के गुजरात जिले से आयात किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार 1935 में शहर में सिर्फ 20 वकील थे, 11 हिंदू, 5 मुस्लिम और 4 सिख। 1934-1935 में जिले में सभी प्रकार के 354 स्कूल थे जिनमें 33,381 छात्र थे। ज्यादातर आबादी पंजाबी बोलती थी और सुनक परिवार की भाषा भी पंजाबी थी।