भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन की वार्ता का असर है कि रूस ने यूक्रेन को बातचीत का प्रस्ताव भेज दिया है। हालांकि इस प्रस्ताव में रूस की ओर से दो शर्तें रखी हैं। अभी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भारत के विदेश मंत्रालय के ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है। अलबत्ता, आरटी डॉट कॉम पर यह खबर प्रकाशित की गई है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रति जेलेंसकी के साथ शांति समझौते पर बात कर सकते हैं।
यूक्रेन की सैन्य शक्ति को नेस्तनाबूद करने के बाद क्रेमलिन से कीव को संदेश दिया गया है कि वो अब बातचीत के लिए तैयार है। इतना ही नहीं इस बातचीत को शुरू करने के लिए क्रेमलिन की ओर से दो शर्तें भी रखी गई हैं। इनमें से पहली शर्त यह है कि यूक्रेन शांति समझौता होने के साथ ही किसी गुट में शामिल नहीं होगा। दूसरी शर्त यह रखी गई है कि इस इलाके में यूक्रेन किसी तरह का कोई हथियार तैनात नहीं करेगा।
क्रेमलिन के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेसकोव ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेनियन समकक्ष जेलेंसकी के साथ बातचीत करने की मंशा जाहिर की है। लेकिन इससे पहले पुतिन क्षेत्र में तटस्थता और निशस्त्रता बनाए रखने की गारंटी चाहता है।
दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि पुतिन की ओर से यह शर्तें यूक्रेन के डिमिलिट्राईजेशन और डिनाजीफिकेशन और लोगों में सुरक्षा की भावना के मकसद से रखी गई हैं।
क्रेमलिन के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव का यह बयान रूसी वेबसाइट आरटी डॉट काम पर प्रकाशित किया गया है। दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि बातचीत का समय निर्धारित करेंगे साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यह बातचीत तभी संभव है जब यूक्रेन की लीडरशिप इस बारे में बातचीत के लिए तैयार हो।
दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि रूसी सेनाओं ने कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें हर हाल में हासिल करनेके बाद ही वो वापस लौटेंगी। अगर कीव रूस की मांगों पर सहमत हो तो यूक्रेन में सैन्य हमलों को रोका जा सकता है।