रूस और यूक्रेन के बीच तानव बढ़ते जा रहे हैं। अमेरिका लगातार रूस को चेतावनी दे रहा है कि अगर वह पीछे नहीं हटा तो अंजाम बुरा होगा। अमेरिका का कहना है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो वह उसपर कड़े प्रतिबंध लगा देगा जिससे उसकी अर्थव्यव्था पर भारी असर पड़ेगा। इन दोनों मुल्कों को लेकर दुनियाभर की नजर टीकी हुई है। ऐसे में चीन कैसे पीछे हट सकते है। यहां तक कि बीजिंग ओलंपिक में चीन और रूस की नजदीकियां बढ़ी हैं। अब खबरों में कहा जा रहा है कि ड्रैगन ने रूस के बहाने अपनी चाल चल दी है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन बीजिंग विंटर ओलंपिक के ओपननिंग सेरेमनी में पहुंचे। जहां उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी-जिनपिंग से चर्चा की और फिर दोनों का संयुक्त बयान जारी हुआ। इसमें उन दोनों के मामलों में हस्तक्षेप के लिए अमेरिका को चेतावनी दी। दोनों देशों ने नाटो के विस्तार की कोशिशों का भी विरोध किया है। बीजिंग ओलंपिक की पश्चिमी देशों ने विरोध किया था।
यूक्रेन पर रूस की नीति जो भी है लेकिन यह साफ है कि वह दुनिया की महाशक्तियों अमेरिका, जर्मनी और यूरोपीय देशों से सीधे टकराने से बचना चाहता है। ऐसे में उसे अपने साथ यदि चीन का सहयोग मिल जाता है तो इससे रूस की तकत बढ़ जाएगी। अगर पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान करते हैं तो वह चीन से मदद ले सकता है। ऐसे में चीन अपने मतलब साधने की तैयारी कर रहा है। वह एशिया में अपनी आक्रामक विस्तार नीति में रूस की मदद चाहेगा। इधर वह ताइवान पर भी अपना दावा करता रहा है।
चीन और रूस दोनों ही विस्तारवादी मंशा रखते हैं और दोनों के नजदीक आने का वजह भी यही है। दोनों देशों के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पुतिन की पॉलिसी में भी समानता स्पष्ट है। इधर यूक्रेन को लेकर रूस आक्रामक है तो उधर ताइवान और साउथ चाइना सी समेत अन्य इलाकों पर चीन कब्जे की तैयारी में है। अवैध कब्जे के लिए इस हद तक पहुंचने वाले दुनिया के यही दो देश हैं। रूस और चीन आपसी सहयोग के लिए भी बराबर उम्मीद कर रहे हैं।
रूस में पोट्रोलियम, गैस और कोयला का विशाल भंडार है। तो वहीं, चीन टेक्नोलॉजी और प्रोडक्शन के क्षेत्र में आगे है। ऐसे में रूस, चीन की मदद ले सकता है। रूस से इस वक्त चीन कम ईंधन खरीदता है और रूस चाहता है कि चीन ईंधन का आयात बढ़ा दे। लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में दोनों की दोस्ती में इजाफा होते देखा जा सकता है। यहां तक कि दोनों ही अमेरिका को टक्कर देना चाहते हैं। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की चीन और रूस ने चिंता बढ़ा दी है।