दुशांबे में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भारत के विदेश मंत्री एस। जयंशंकर ने कहा है कि चीन भारत को तीसरे देश के नजरिए से न देखे। जयशंकर ने यह हिदायत भी दी कि एलएसी से सेनाओं की वापसी जरूरी है। दोनों देश के नेता तजाकिश्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ समिट में पहुंचे थे। इस समिट से अलग दोनों ने मुलकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को चीने विदेश मंत्री क्वांग यी से कहा कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में प्रगति शांति बहाली के लिए आवश्यक है और यह संपूर्ण (द्विपक्षीय)संबंध के विकास का आधार भी है।
जयशंकर और वांग ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन से इतर बैठक की और वैश्विक घटनाक्रम पर विचारों का आपस में विचारों का आदान प्रदान किया। समझा जाता है कि इस भेंटवार्ता में अफगानिस्तान के घटनाक्रम का विषय भी उठा। बयान के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उल्लेख किया कि 14 जुलाई को अपनी पिछली बैठक के बाद से दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास शेष मुद्दों के समाधान में कुछ प्रगति की है और गोगरा क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को पूरा किया है। हालांकि अभी भी कुछ मुद्दों का हल किया जाना बाकी है, जिन्हें जल्द सुलझाने की जरूरत है।
जयशंकर ने ट्वीट किया, 'चीन के विदेश मंत्री से दुशांबे में एससीओ की बैठक से इतर मुलाकात हुई। अपने सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की और यह रेखांकित किया कि शांति बहाली के लिए यह बेहद जरूरी है और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का आधार है।' बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत सभ्यताओं के टकराव संबंधी किसी भी सिद्धांत पर नहीं चलता है। समझा जाता है कि अफ़गानिस्तान के घटनाक्रम पर भी बातचीत हुई। जयशंकर ने कहा कि यह भी आवश्यक है कि भारत के साथ अपने संबंधों को चीन किसी तीसरे देश की निगाह से नहीं देखे। उन्होंने कहा, 'जहां तक एशियाई एकजुटता की बात है तो चीन और भारत को उदाहरण स्थापित करना होगा।