पाकिस्तान में स्थिति इस वक्त बहुत ज्यादे बिगड़ी हुई है। देश के अंदर कई तरह का भूचाल आया हुआ है जिसमें से सबसे बड़ा भूचाल महंगाई है जो इस वक्त चरम पर है। दूसरा यह कि FATF की ब्लैक लिस्ट में बरकरार रहने की वजह से पाकिस्तान की मुश्किलें इतनी बढ़ गई है कि अब देश चलाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। पाकिस्तान को इस वक्त जो झटका लगा है उससे पड़ा कुछ हो नहीं सकता क्योंकि, वादा करने के बाद भी सऊदी अरब ने पैसे देने से मना कर दिया है।
प्रधानमंत्री इमरान खान का खुद कहना है कि, बढ़ते विदेशी कर्ज के कारण पाकिस्तान सरकार के पास अब देश चलाने तक के लिए पैसा नहीं बचा है। हर बार पाकिस्तान को मुश्किल से निकालने वाला सऊदी अरब भी अपने हाथ पीछे खींच रहा है। हाल ही में पीएम इमरान खान इस उम्मीद के साथ सऊदी अरब गए थे कि उन्हें 3 अरब डॉलर की रकम मिल जाएगी। उनके दौरे के तुरंत बाद सऊदी अरब की ओर से कहा गया कि वह पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में पैसा जमा कर रहा है लेकिन अभी तक पाकिस्तान को ये रकम नहीं मिली है।
इसके साथ ही पाकिस्तान ने 1.2 अरब डॉलर का तेल भी उधार मांगा था, जो उसे नहीं दिया गया। सरकार का मजाक बनता देख पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि शायद इस हफ्ते प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान कैश रिजर्व मुहैया करा देंगे। और सबसे बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान को इस रकम पर 3.2 फीसदी की दर से सालाना ब्याज जमा करना होगा और इसपर पाक सेना और सरकार दोनों ही चुप्पी साधे हुए है।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी ने कहा है कि, इस सौदे में सबकुछ सही नहीं है, ऐसी कई बातों से इसकी पुष्टि होती है। प्रधानमंत्री इमरान खान 23 अक्टूबर को सऊदी अरब के दौरे पर गए थे और फिर 26 अक्टूबर को वापस लौटे। पाकिस्तान की ओर से इसे धार्मिक यात्रा बताया गया। उनके लौटने के छह दिन बाद सऊदी की ओर से कहा गया कि वह पाकिस्तान को पांच अरब डॉलर का सशर्त कर्ज देने के लिए तैयरा है। सेठी का कहना है कि अऊदी अरब के प्रिंस को अब इमरान खान नहीं बल्कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मतलब है। उनकी ओर से तब तक कर्ज का ऐलान नहीं किया गया जब तक बाजवा की ओर से इसके लिए हामी नहीं भरी गई।