सुपर पॉवर अमेरिका और चीन की दुश्मनी आज से नहीं बल्कि काफी पुरानी है। और इधर बीच तो दोनों देशों के बीच जमकर टकराव देखने को मिल रहे हैं। चीन कई देशों के क्षेत्र में जबरन घुसने की कोशिश कर रहा हो तो वहीं, अमेरिका उन देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले रखी है। जिसपर चीन बौखलाया हुआ है और उसका कहना है कि जो भी उसके काम के बीच में आएगा उसका अंजाम बुरा होगा। अब अमेरिका ने चीन को एक के बाद एक कर आठ चोट दिए हैं जिसके बाद ड्रैगन बौखला गया है।
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इन दिनों चीन और अमेरिका दोनों के ही द्वारा एक दूसरे के खिलाफ उठाए जा रहे कदम इनके बीच तनाव में और ज्यादा इजाफा कर रहे हैं। अब अमेरिकी सरकार ने बुधवार को कथित तौर पर कई चीनी कंपनियों को अपने ट्रेड ब्लैकलिस्ट (US Blacklist Chinese Companies) में डाल दिया है। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, अमेरिका ने कहा है कि ये कंपनियां चीनी सेना के क्वांटम कंप्यूटिंग प्रयासों को विकसित करने में सहायता कर रही हैं।
आठ चीनी कंपनियों को चीनी सेना की सहायता करने में उनकी कथित भूमिका के लिए और मिलिट्री एप्लिकेशन को सपोर्ट करने के लिए अमेरिकी ऑरिजन की वस्तुओं को हासिल करने की कोशिश के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो एक बयान में कहा कि इन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किए जाने से देश की टेक्नोलॉजी को चीन और रूस के सैन्य विकास को रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पाकिस्तान की असुरक्षित परमाणु गतिविधियां या बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को भी रोका जा सकेगा। चीनी कंपनियों पर यह पहली बार नहीं है जब ऐसे आरोप लगे हैं इससे पहले भी चीनी कंपनियां ऐसी हरकतों में लिप्त पाई गई हैं।
अमेरिका के इस कदम का ड्रैगन ने विरोध किया है। वाशिंगटन में मौजूद चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कहा है कि, अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा कैच-ऑल अवधारणा का इस्तेमाल करता है और हर संबव तरीकों से चीनी कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है। अमेरिका को चीन से गलत रास्ते पर आगे बढ़ने के बजाय उससे मिलने की जरूरत है।
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अमेरिका ने ये कार्रवाई ऐसे समय में की है जब दोनों देश ताइवान को लेकर और व्यापार के मुद्दों पर आमने-सामने हैं। इन आठ चीनी कंपनियों को मिलकार अबतक कुल 27 नई कंपनियों को सूची में शामिल किया गया है। इसमें पाकिस्तान, जापान और सिंगापुर की कंपनियां भी हैं।