पाकिस्तान की शहबाज (Shahbaz) सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज मिलने की उम्मीदों के बीच देश के बजट को पेश कर दिया है। हालांकि अभी आईएमएफ से कर्ज मिलने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान के अंबानी कहे जाने वाले अरबपति बिजनसमैन मियां मांशा ने शहबाज (Shahbaz) सरकार को जमकर सुना दिया है। पाकिस्तान के शीर्ष निर्यातकों में शामिल मियां मांशा ने कहा कि कोई भी देश केवल टॉवेल बेचकर अपने विदेशी मुद्राभंडार को नहीं बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए विदेशी निवेश को बढ़ाना होगा जैसे भारत साल 1991 के बाद से ही लगातार कर रहा है। उन्होंने भारत की जमकर तारीफ की और कहा कि पाकिस्तान के विपरीत हिंदुस्तान केवल एक बार आईएमएफ से कर्ज मांगने गया और फिर उसे इसकी जरूरत नहीं पड़ी।
भारत में विदेशी कंपनियां कतार लगाए खड़ी हैं
मियां मांशा ने कहा कि भारत में विदेशी कंपनियां कतार लगाए खड़ी हैं। इसकी वजह यह है कि भारत ने कड़े सुधार लागू किए और निवेशकों तथा निवेश को जमकर मदद दी है। उन्होंने कहा, ‘इसके विपरीत पाकिस्तान में हम देखते हैं कि विदेशी निवेशक भाग रहे हैं। इसकी वजह यह है कि यहां पर कोई भी कानून का शासन नहीं है। कोई भी कांट्रैक्ट की बातों को नहीं मानता है। श्रीलंका इसी तरह के संकट से निकल गया है क्योंकि वहां पर देश में कानून और कॉन्ट्रैक्ट का सम्मान है। कोई यहां पर क्यों निवेश करेगा जब उसे ज्यादा अच्छा और ज्यादा आकर्षक जगह पर निवेश करने का विकल्प मौजूद है।’
India से दोस्ती करें Shahbaz, दूर होगी कंगाली
कपड़े की एक मिल से अरबों का साम्राज्य खड़ा करने वाले मियां मांशा ने कहा कि क्षेत्रीय सीमा विवाद के बाद भी चीन भारत के साथ बिजनस कर सकता है तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपने पड़ोसी देशों भारत, ईरान और अफगानिस्तान के साथ व्यापक क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाना चाहिए। मियां मांशा ने कहा कि अगर भारत के साथ व्यापार को फिर से शुरू करते हैं तो इससे बिजनस की अपार संभावनाएं खुलेंगी। मैं समझता हूं कि आपका अपने पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्ते करने के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं है। और हां, आप अपने पड़ोसी को नहीं बदल सकते हैं।