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China के कर्ज जाल में फंसा एक और देश, सबसे खराब आर्थिक मंदी से गुजर रहा- लोगों ने कहा अब भारत ही हमारा…

इतने सुंदर देश को पूरी तरह बर्बाद कर दिया ड्रैगन

दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो चीन के काफी परेशान हैं। इधर बीच तो चीन की एक नई पॉलिसी है कि छोटे देशों को इतना कर्ज दे दो कि वो अदा ही न कर पाए उसके बाद उनके बंदरगाहों और एयरपोर्टों पर अपना कब्जा जमा कर वहां, अपनी आर्मी तैनात कर दो। चीन के इस कर्ज जाल नीती में कई देश फंस चुके हैं। लेकिन, सबसे बुरा हाल इस वक्त श्रीलंका का है। जिसे चीन ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। यहां आलम यह है कि, बिजली की भारी कटौती का सामना करना पड़ रहा है। आवश्यक सामानों की कमी के चलते देश अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। जिसके कारण बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है।

देश में भारी आर्थिक तंगी को देखते हुए श्रीलंकाई नागरिक भारत में शरण लेना शुरू कर दिया है। भारतीय तटरक्षक बल ने मंगलवार को तीन बच्चों सहित छह श्रीलंकाई नागरिकों को गिरफ्तार किया। ये सभी श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र में जाफना और कोकुपडैयन के निवासी हैं। वे कथित तौर पर बेरोजगारी और भोजन की कमी से भाग रहे थे। उन्हें तमिलनाडु में रामेश्वरम के पास एक द्वीप से बचाया गया था। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि श्रीलंका ने मंगलवार को पेट्रोल स्टेशनों पर सैनिकों को तैनात किया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि पिछले दिनों हजारों मोटर चालकों के बीच छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुए, जो कि तेल के लिए रोजाना कतार में लगे हुए थे।

बीते करीब एक साल से भीषण संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में अब हालात इतने खराब हो चले हैं कि पेट्रोल के लिए लाइन में लगे दो लोगों की मौत हो गई। देश में विदेशी मुद्रा संकट के बीच पेट्रोलियम की कीमतों में आग लग गई है। जिसके चलते महंगाई बढ़ गई है और आवश्यक आपूर्ति की कमी हो गई है। यहां बेरोजगारी चरम पर है और जरूरत की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं।

यहां तक की श्रीलंका में छात्रों को भी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है। यहां कागजात की भारी कमी पड़ गई है जिसके चलते सभी परीक्षाओं को अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया गया है। श्रीलंका का वित्तीय संकट विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी से उपजा है, जिससे व्यापारियों को आयात करने में कठिनाई हो रही है। देश का पर्यटन क्षेत्र, विदेशी मुद्रा का प्राथमिक स्रोत रहा है लेकिन, कोविड महामारी के दौरान ये भी खत्म सा हो गया। इसके अलावा बेहतर बुनियादी ढांचे, उच्च रोजगार, आय, आर्थिक स्थिरता की आशा के साथ श्रीलंका चीनी विदेशी निवेश के आगे झुक गया जिससे आम लोगों के जीवन स्तर में वृद्धि हुई है।